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सनी देओल ने दी हैं इतनी फ्लॉप फिल्में कि गिन नहीं पाएंगे, गदर 2 से बचेगी इज्जत?

Sunny Deol Flop Films: सनी देओल इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म ‘गदर 2’ को लेकर सुर्खियों में हैं. ये फिल्म उनकी ब्लॉकबस्टर हिट फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ का सीक्वल है जो कि इसी साल 11 अगस्त को थिएटर में रिलीज के लिए तैयार है. सनी की फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ को भले ही दर्शकों का भरपूर प्यार मिला लेकिन इसके बेद सनी देओल की एक के बाद एक कई फिल्में फ्लॉप हुई हैं.

सनी देओल को अपनी फिल्म ‘गदर 2’ से काफी उम्मीदें हैं. उनकी फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ ने कुल 78 करोड़ रुपये का क्लेक्शन किया था. हालांकि उसके बाद से सनी देओल की किसी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं किया. उनकी फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ से लेकर इसके सीक्वल्स और ‘जो बोले सो निहाल’ तक कई फिल्में फ्लॉप या डिजास्टर साबित हुईं. 

एक के बाद एक फ्लॉप हुईं कई फिल्में
सनी देओल, बॉबी देओल और धर्मेंद्र स्टारर फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ साल 2011 में रिलीज की गई थी. फिल्म को दर्शकों का खास रिस्पॉन्स नहीं मिला. फिर दो साल बाद यानि 2013 में फिल्म का सीक्वल ‘यमला पगला दीवान 2’ रिलीज की गई जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई. 5 साल बाद 2018 में ‘यमला पगला दीवाना 2’ भी रिलीज की गई लेकिन ये फिल्म भी बुरी तरह पिट गई.

एक बार फिर साथ दिखे सनी देओल और अमीषा पटेल
‘गदर’ के बाद सनी देओल की फिल्म ‘मां तुझे सलाम’ आई. लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई. 2003 में सनी की दो फिल्में ‘खेल’ और ‘जाल’ रिलीज हुईं लेकिन दोनों का ही बुरा हाल रहा. फिल्म ‘तीसरी आंख’ में सनी देओल और अमीषा पटेल एक बार फिर साथ आए लेकिन इस फिल्म का भी बॉक्स ऑफिस पर जादू न चल सका. 2016 में सनी देओल की फिल्म ‘घायल वंस अगेन’ रिलीज हुई लेकिन ये भी 35.7 करोड़ के क्लेक्शन के साथ फ्लॉप हो गई. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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