टैकनोलजी

ChatGPT बनाने वाली कंपनी में इतनी संख्या में काम कर रहे गूगल, मेटा और एपल के पुराने एम्पलॉयी

ChatGPT Employees : चैट जीपीटी आज खूब चर्चा में बना हुआ है. जब से ये AI चैटबॉट फेमस हुआ है, तब से लोगों ने इससे खूब काम लिया है. किसी ने होम वर्क कराया, किसी ने आर्टिकल लिखवाया तो किसी ने कोडिंग तक कराई. कई लोगों ने तो टाइमपास के लिए अजीब-अजीब सवाल भी पूछे. हालांकि, अभी भी यह पूरी तरह से फेमस नहीं हुआ है. चैट जीपीटी धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रहा है. इस शानदार चैटबॉट को OpenAI नाम की कंपनी ने बनाया है. इस कंपनी की शुरुआत 2015 में हुई थी. 
 
बिजनेस इनसाइडर की हालिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि OpenAI ने गूगल (Google) और फेसबुक (Facebook) के कई पुराने एम्पलॉयी को अपने यहां हायर किया है. इतना ही नहीं, Amazon और Apple के पुराने एम्प्लॉय को भी OpenAI टीम का हिस्सा बनाया गया है.

टेक दिग्गज कंपनियों के एम्पलॉयी OpenAI पहुंचे

बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि हाल ही में एक डेटा जारी किया गया है. इस डेटा से मालूम पड़ा है कि OpenAI में फिलहाल लगभग 59 पुराने गूगल के एम्पलॉयी और 34 पुराने मेटा के एम्पलॉयी हैं. रिपोर्ट में अमेजन और एपल के पुराने एंप्लॉयी का भी जिक्र है. रिपोर्ट में लिखा है कि OpenAI में पुराने अमेजन के एम्पलॉयी और पुराने एपल के एम्पलॉयी भी शामिल हैं. कंपनी ने लीडरशिप टीम में खास तौर से टॉप टेक वर्कर को शामिल किया है. ऐसे लोग जो पहले Meta, Google और Apple में काम कर चुके हैं.

OpenAI से जुड़ी जानकारी

चैट जीपीटी बनाने वाली इस कंपनी OpenAI की स्थापना 2015 में AI के संभावित खतरे से इंसानों को बचाने के लिए की गई थी. सैम ऑल्टमैन और एलन मस्क कंपनी के फाउंडर में से थे. फिर मस्क ने 2018 में OpenAI से रिजाइन दे दिया और 2019 में, OpenAI ने Microsoft के साथ पार्टनरशिप कर ली. OpenAI ने अपनी स्थापना के बाद से कई AI टूल बनाए गए. हालांकि चैट जीपीटी ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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