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Facebook पर आया नया फीचर, अब आप तय करेंगे कि आपको क्या और कैसा कंटेंट देखना है

New Features on Faceebook: फेसबुक पर कुछ नए फीचर्स एडऑन हुए हैं. इनकी मदद से आप ये तय कर पाएंगे कि आपको ऐप पर कैसा कंटेंट देखना है. कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक पोस्ट शेयर कर बताया कि कंपनी यूजर्स को प्लेटफार्म पर कुछ नए फीचर देने वाली है जिसकी मदद से यूजर्स किसी कंटेंट के लिए कंपनी को फीडबैक दे पाएंगे. नए अपडेट के बाद आपको फसेबुक पर ये ऑप्शन मिलेगा-

जब आप फेसबुक पर अब रील देखेंगे तो आपको दो नए ऑप्शन मिलेंगे. इसके लिए आपको बॉटम राइट में दिख रहे तीन डॉट्स के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा और यहां आपको ‘शो मोर’ या ‘शो लेस’ का ऑप्शन दिखेगा. यदि आप कोई रील देख रहे हैं और वो आपको अच्छी लगती है और आप चाहते हैं कि ऐसा ही कंटेंट आपको और दिखे तो इसके लिए आपको ‘शो मोर’ के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. इसी तरह जिस कंटेंट को आप नहीं देखना चाहते उसके लिए ‘शो लेस’ के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. ये फीचर पहले से फेसबुक पर नार्मल पोस्ट के लिए मौजजूद था जिसे अब कंपनी ने रील सेक्शन में भी जोड़ दिया है.

दोस्तों के द्वारा रिकमेंड की हुई रील भी दिखेंगी

अब फेसबुक पर आपको वो रील भी दिखेंगी जो आपके दोस्त आपको रिकमेंड करेंगे. यदि आपको रिकमेंड की हुई रील्स पसंद नहीं आती हैं तो आप मैनुअली इसे बंद कर सकते हैं. इसके लिए आपको वही  ‘शो मोर’ या ‘शो लेस’ का ऑप्शन यूज करना है.

 

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Facebook Watch में भी बदलाव

मेटा ने कुछ यूजर फ्रेंडली बदलाव Facebook Watch में भी करें हैं. अब आपको Facebook Watch में रील्स का ऑप्शन टॉप पर अलग से दिखाई देगा. साथ ही आप आसनी से म्यूजिक, वीडियो और दूसरे चीजों के बीच स्विच कर पाएंगे. बता दें, इससे पिछले महीने फेसबुक ने प्लेटफार्म पर 90 मिनट तक की रील्स को पोस्ट करने का ऑप्शन लोगों को दिया था. साथ ही रील्स को क्रिएटिव बनाने के लिए भी कुछ फीचर्स एड किए थे. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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