बॉलीवुड और मनोरंजन

‘गरम हवा’ से फारुख शेख ने सिनेमा में रखा था कदम, एक्टिंग नहीं क्रिकेट था पहला प्यार

Farooq Sheikh Unknown Facts: ‘कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना….’ यह लाइन बेशक आपने मोहब्बत करने वालों के मुंह से सुनी होगी, लेकिन आज हमारी कहानी में इसका जिक्र अपनी पहली मोहब्बत को ठुकराकर किसी और मुकाम को हासिल करने वाले दिग्गज अभिनेता फारुख शेख के लिए किया जा रहा है. पैरों पर पैड… हाथों में बैट-बॉल से मोहब्बत करने वाले फारुख कब और कैसे सिनेमा के इश्क की गिरफ्त में आ गए, पता नहीं लगा. अब इश्क किया तो डरना वाला सीन सोचकर फारुख आगे कदम बढ़ाते-बढ़ाते इस सफर में इतने सफल हो गए कि पीछे मुड़कर ही नहीं देखा. बेशक आज फारुख शेख हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन होते तो अपना 75वां जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मना रहे होते.  

क्रिकेट की कोचिंग से थिएटर तक का सफर

बॉलीवुड इंडस्ट्री के मंझे हुए कलाकारों की फेहरिस्त में शुमार अभिनेता फारुख शेख ने अपनी अदाकारी से कुछ इस तरह लोगों के दिलों को छुआ कि आज भी फैंस उन्हें दिल से याद करते हैं. 25 मार्च 1948 को गुजरात के जमींदार परिवार में जन्मे फारुख शेख का सिनेमा दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था. उन्होंने खुद ही अपने कदम बॉलीवुड की तरफ बढ़ाए. मुंबई के जाने-माने वकील मुस्तफा शेख के बेटे फारुख बचपन से ही खेलकूद में बेहद तेज थे और क्रिकेट की कोचिंग भी लेते थे. हालांकि, कॉलेज में जाते-जाते उनका लगाव क्रिकेट से कम होता गया और अभिनय से बढ़ता चला गया.

अभिनय के जुनून में फ्री में करने को तैयार थे फारुख

क्रिकेट की कोचिंग लेने वाले फारुख शेख कॉलेज में जाते ही थिएटर और अभिनय के ऐसे मुरीद हुए कि इसमें लगातार काम करने लगे. कॉलेज के दौरान अभिनेता ने बहुत से थिएटर प्ले में हिस्सा लिया. थिएटर में उनकी पकड़ टाइम के साथ-साथ मजबूत होने लगी और अभिनय से अभिनेता की कुछ ऐसी दोस्ती हुई कि वह छा गए. फारुख शेख को थिएटर में काम करते-करते फिल्म ‘गरम हवा’ लगी और बॉलीवुड में उन्होंने अपना पहला कदम रखा. साल 1973 में आई इस फिल्म को पाकर फारुख शेख इतना खुश थे कि फिल्म के लिए पैसे लेने से भी इनकार कर दिया था. हालांकि, बाद में 750 रुपये मेहनताना दिया गया था. फारुख की पहली ही फिल्म रूपहले पर्दे पर छा गई थी.

पर्दे पर हिट तो रियल लाइफ में सुपरहिट फारुख-दीप्ति की जोड़ी

इसके बाद फारुख ने एक के बाद एक ढेरों फिल्मों में काम किया, जो हिट होती चली गईं.  उन्होंने साल 1977 में ‘शतरंज के खिलाड़ी’, 1979 में ‘नूरी’, 1981 में ‘चश्मे बद्दूर’, 1983 में ‘किसी से न कहना’ में भी काम किया था.  फारुख शेख की जिंदगी में फिल्मों के जरिए एक ऐसा शख्स भी आया, जो न केवल फिल्मी पर्दे पर उनके साथ हिट रहा, बल्कि रियल लाइफ में भी सुपरहिट रहा. हम बात कर रहे हैं अभिनेत्री दीप्ति नवल की. फारुख शेख और दीप्ति नवल की जोड़ी ऑनस्क्रीन हिट रही तो वहीं निजी जिंदगी में दोनों काफी अच्छे दोस्त थे. दोनों एक साथ इतना कमाल का अभिनय करते थे कि यह जोड़ी 80 के दशक की हिट जोड़ी बन गई थी. फारुख के अभिनय का जौहर हमें आखिरी बार साल 2013 की फिल्म ‘लिसन अमाया’ में देखने को मिला था.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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