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घर के अंदर हों या बाहर, हर जगह मोबाइल में रहेगा फुल नेटवर्क, ट्राई कर रहा है ये तैयारी

Mobile Network : देश में 4G और 5G नेटवर्क रिवील हो गया है, फिर भी कई बार मोबाइल पर बात करते हुए आपको नेटवर्क की प्रॉब्लम की वजह से आवाज साफ सुनाई नहीं देती. वहीं कई बार तो आपकी कॉल तक डिस्कनेक्ट हो जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने हाईराइज बिल्डिंग एरिया में डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग ढांचे को मजबूत करने के लिए विचार मांगे हैं.

इसके जरिए ट्राई हाईराइज बिल्डिंग क्षेत्र में मोबाइल कवरेज का सुनिश्चित करना चाहता है और इसमें सभी मोबाइल यूजर्स अपनी सलाह दे सकते हैं. अगर आप भी अपने क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क से परेशान है, तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी जरूर करनी चाहिए.

4G और 5G नेटवर्क के बाद नहीं मिलती कनेक्टिविटी

देश में 4G को लॉन्च हुए काफी समय हो गया और हाल ही में 5G नेटवर्क को भारत में लॉन्च किया गया है, जिसका विस्तार किया जा रहा है. वहीं सेक्टर रेगुलेटर के अनुसार टेलीकॉम कंपनियों के पास पर्याप्त स्पेक्ट्रम भी है, लेकिन इसके बावजूद हाईराइज बिल्डिंग में नेटवर्क की समस्या आती है, जिसके चलते ट्राई कुछ नियमों में बदलाव करने वाली है और उसके लिए यूजर्स से सलाह मांगी गई है.

डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए ट्राई लागू कर चुका है सिफारिश

ट्राई इससे पहले फरवरी 2023 में डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए सिफारिशें जारी कर चुका है, जिसमें सहयोगात्मक और सेल्फ डिसीजन के आधार पर यूजर्स को बेहतर डिजिटल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करनी थी. वहीं अब हाईराइज बिल्डिंग के यूजर्स 10 नवंबर तक ट्राई को अपने सुझाव दे सकते हैं, जिनके विरोध में मोबाइल कंपनी 24 नवंबर तक जवाब दाखिल कर सकती है.

3 साल के लिए सुझाव होंगे वैलिड

ट्राई द्वारा मांगे गए सुझाव हाईराइज बिल्डिंग पर तीन साल के लिए वैध होंगे और सुझाव के आधार पर रेटिंग दी जाएगी. वहीं ट्राई समय-समय पर इन सुझाव की समीक्षा कर सकती है. अगर आप भी अपने क्षेत्र के नेटवर्क पर रेटिंग देना चाहते हैं, तो ये प्लैटिनम, गोल्ड, सिल्वर और ब्राउस में दी जा सकती हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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