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AI टूल ने महिला में खोजी ये गंभीर बीमारी, साइंस कह चुका था सब नार्मल है

AI better than doctors: मेडिकल के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काफी मददगार और एक बड़ा रोल निभा सकता है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें एआई बेस्ड सॉफ्टवेयर की मदद से महिला में ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट किया गया है. हैरानी की बात ये है कि सामान्य एक्स-रे में रेडियोलॉजिस्ट को सब कुछ नॉर्मल दिख रहा था.

न्यू यॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Bacs-Kiskun काउंटी हॉस्पिटल,हंगरी में काम करने वाली डॉक्टर Dr. Eva Ambrozay ने सॉफ्टवेयर की मदद से एक महिला में ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट किया है. उन्होंने स्कैन में छोटे छोटे लाल सर्कल डिटेक्ट किए जो सामान्य एक्स-रे में नहीं दिख रहे थे. बता दें, हंगरी में हर साल बड़े स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया जाता है. हर साल यहां करीब 5 हॉस्पिटल और क्लीनिकों में 35,000 से ज्यादा मरीजों की स्क्रीनिंग की जाती है और इसमें एआई सॉफ्टवेयर की सहायता डॉक्टर लेते हैं. इसकी शुरुआत 2021 से हुई थी. 

इंसानों से बेहतर है एआई

एक डॉक्टर ने न्यू यॉर्क टाइम से बात करते हुए कहा कि AI की मदद से ह्यूमन एरर को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कई बार रेडियोलॉजिस्ट थकान की वजह से कुछ माइनर चीजें मिस कर देते हैं जिसकी वजह से बाद में पेशेंट को बड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. लेकिन अब एआई की मदद से चीजें बेहतर की जा सकती हैं और हेल्थ सेक्टर में ये एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. वहीं, एक AI एक्सपर्ट्स ने टाइम्स से कहा कि AI टेक्नोलॉजी डॉक्टर को रिप्लेस नहीं कर सकती बल्कि इसकी मदद से पेशेंट की केयर और बेहतर और सही तरीके से की जा सकती है.

हाल ही में ओपन AI ने लॉन्च किया है चैट जीपीटी

एक AI टूल जिसने बेहद कम समय में जबरदस्त पॉपुलैरिटी हासिल कर ली है वो है चैट जीपीटी. चैट जीपीटी को ओपन एआई ने बनाया है. ये एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड टूल है जिसमें पब्लिकली मौजूद सारा डेटा फीड किया गया है जो आपके किसी भी सवाल का जवाब आपको सेकंड्स में गूगल से बेहतर तरीके से दे सकता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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