टैकनोलजी

चैटजीपीटी के बाद अब एप्पलजीपीटी! तो एप्पल ने बना लिया अपना जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस?

<p>आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर प्रतिस्पर्धा लगातार तेज होती जा रही है. ओपनएआई के जेनरेटिव एआई चैटजीपीटी के बाद बड़ी-बड़ी दिग्गज कंपनियां भी एआई की रेस में पीछे नहीं छूटना चाहती हैं. एआई को लेकर गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक दिग्गजों के बाद दुनिया की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी एप्पल भी अब इस रेस में शामिल हो चुकी हैं.</p>
<h3>एप्पल के कर्मचारी कर रहे हैं यूज</h3>
<p>विभिन्न मीडिया रपटों में बताया जा रहा है कि आईफोन व आईपैड जैसे कई शानदार प्रोडक्ट बेचने वाली टेक कंपनी एप्पल ने अब चैटजीपीटी जैसा अपना जेनरेटिव एआई तैयार किया है. खबरों के अनुसार, एप्पल ने चैटजीपीटी जैसी इंटरनल सर्विस पहले ही तैयार कर ली है, जिसकी मदद से उसके कर्मचारी नए फीचर्स को टेस्ट कर रहे हैं, टेक्स्ट की समरी तैयार कर रहे हैं और उसके द्वारा अब तक सीखे गए डेटा के हिसाब से सवालों के जवाब दे रहे हैं.</p>
<h3>जुलाई में भी आई थी ऐसी खबरें</h3>
<p>यह पहली बार नहीं है, जब एप्पल के द्वारा जेनरेटिव एआई तैयार करने की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं. इससे पहले इस साल जुलाई में भी इस तरह की खबरें आई थीं. तब बताया गया था कि एप्पल अपने एआई मॉडल पर काम कर रही है. खबरों के अनुसार, एप्पल के इस लार्ज लैंग्वेज मॉडल यानी एलएलएम को Ajax नामक नए फ्रेमवर्क पर तैयार किया गया है.</p>
<h3>एप्पल ने खोज निकाला ये तरीका</h3>
<p>अब एप्पल ने उसके आईफोन और आईपैड पर रन करने वाले एलएलएम के बारे में एक रिसर्च पेपर फाइल किया है. इस रिसर्च पेपर में बताया गया है कि लिमिटेड डीआरएएम कैपेसिटी वाली किसी डिवाइस पर किस तरह से लार्ज लैंग्वेज मॉडल को रन कराया जा सकता है. दरअसल सीमित डीआरएएम कैपेसिटी के साथ एलएलएम को रन करना संभव नहीं होता है. इसके लिए एप्पल ने एलएलएम को फ्लैश मेमोरी पर स्टोर करने का तरीका निकाला है, जिसे जरूरत पड़ने पर डिवाइस के साथ जोड़ा जा सकता है.</p>
<h3>ट्रेनिंग के लिए कर सकती है ये डील</h3>
<p>इस बीच कुछ अन्य खबरों में दावा किया जा रहा है कि एप्पल ने अपने जेनरेटिव एआई को ट्रेन करने के लिए कई प्रमुख न्यूज व कंटेंट कंपनियों के साथ बातचीत शुरू की है. इसके लिए कंपनी कई सालों का एग्रीमेंट कर सकती है और 50 मिलियन डॉलर से ज्यादा का भुगतान करने के लिए तैयार है. एप्पल चाहती है कि उसे डील करने वाली न्यूज कंपनी अपने न्यूज आर्टिकल्स के आर्काइव का भी एक्सेस दे.</p>
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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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