बॉलीवुड और मनोरंजन

शाहरुख खान के ‘वानखेड़े विवाद’ पर 12 साल बाद बोले जॉय भट्टाचार्य, जानें पूरी सच्चाई

Shah Rukh Khan Wankhede Controversy: जब-जब IPL का मैच होता है तब-तब शाहरुख खान के वानखेड़े विवाद की चर्चा होने लगती है. क्योंकि आईपीएल के इतिहास का ये बड़ा विवाद था जब शाहरुख को 5 सालों के लिए वानखेड़े स्टेडियम में बैन कर दिया गया था. कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के पूर्व निदेशक जॉय भट्टाचार्य ने 3 मई यानी आज एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने उस रात की पूरी घटना के बारे में बताया है.

साल 2012 की रात केकेआर और मुंबई इंडियन्स (MI) का मैच मुंबई के वानखेड़े में हो रहा था. उस रात शारुख खान का सुरक्षाकर्मियों और क्रिकेट अधिकारियों से ऐसी नोकझोंक हुई जिसके बाद शाहरुख को लेकर बड़ा फैसला लिया गया. चलिए आपको बताते हैं जॉय भट्टाचार्य ने 12 सालों के बाद क्या कहा?

12 साल बाद फिर याद आया शाहरुख खान वानखेड़े विवाद

जॉय भट्टाचार्य ने X पर वानखेड़े विवाद के बारे में बताया है. एक ट्वीट में लिखा, ‘पिछली बार वानखेड़े में केकेआर ने एमआई को हरा दिया था. मैं अभी भी उसका हिस्सा था. काफी टाइम हो गया है लेकिन हो सकता है कि आज का ही दिन हो.’

जॉय भट्टाचार्य ने अगले ट्वीट में लिखा, ‘उस घटना के बाद केकेआर ने दो बार चैंपियनशिप जीती. और उन्होंने (शाहरुख खान) गाली नहीं दी थी, मैं वहीं था. और अगली बार, जब कोई आपकी छोटी बेटी को ‘कैटकॉल’ कहे तो शांत रहें.’ उसके बाद शाहरुख खान ने अपने कई इंटरव्यूज में अपना पक्ष रखते हुए सफाई दी. उन्होंने कहा था कि उनका गुस्सा सिक्योरिटी स्टाफ का उनके प्रति निर्देशित धार्मिक अपमान के कारण बढ़ा था.

शाहरुख ने बताया था कि उनका रिएक्शन पूरी तरह से उनकी बेटी की सेफ्टी के लिए था. उनकी बेटी को शामिल किया गया और वो बस अपनी बेटी को प्रोटेक्ट कर रहे थे. बता दें, उस समय सुहाना खान भी अपने पिता शाहरुख के साथ केकेआर का मैच देखने स्टेडियम पहुंची थीं. केकेआर ने साल 2012 और साल 2014 में IPL ट्रॉफी जीती है.

यह भी पढ़ें: जब कंगना रनौत को बहू बनाने पर ऐसा आया था Shekhar Suman का रिएक्शन, बोले- ‘अभी चलना सीखा है, घूंघट कैसे उठाएगा’

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button