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राजकुमार राव की ‘भीड़’ ऑडियंस की कसौटी पर उतर पाएगी खरी ? जानिए- पहले दिन कैसा रहेगा हाल

Bheed Box Office Prediction: अनुभव सिन्हा की बेहद चर्चित फिल्म ‘भीड़’ 24 मार्च  2023 यानी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन की वजह से हुई दिक्कतों को इस फिल्म में बयां किया गया है. ‘भीड़’ में राजकुमार राव, भूमि पेडनेकर, दिया मिर्जा, पंकज कपूर समेत कई कलाकारों ने अहम रोल प्ले किया है. फिल्म के ट्रेलर को काफी पसंद किया गया था और इसके ब्लैक एंड व्हाइट अप्रोच ने फिल्म को लेकर और एक्साइटमेंट बढ़ा दी है. चलिए यहां जानते हैं कोरोना काल के दौरान हुई आमजन की तकलीफों को पर्दे पर लाने वाली ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन कितनी कमाई कर सकती है.

भीड़’ ओपनिंग डे पर कितनी कमाई कर सकती है?
ट्रेड एनालिस्ट के अनुसार अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी ‘भीड़’ रिलीज के पहले दिन 3 करोड़ से 4 करोड़ के करीब कारोबार कर सकती है. ऐसा होने पर फिल्म की ओपनिंग ठीक-ठाक मानी जाएगी. वहीं रिपोर्ट्स की मानें तो राजकुमार राव स्टारर ये फिल्म 20 से 30 करोड़ के बजट में बनाई गई है. फिल्म  मार्च 2020 में COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन पर बेस्ड है.

अनुभव सिन्हा ने कई शानदार फिल्में बनाई हैं
फिल्म ‘भीड़’ में दीया मिर्जा, कृतिका कामरा और आशुतोष राणा भी अहम रोल प्ले करते नजर आएंगे. बताया जा रहा है कि इस फिल्म का स्क्रीन रन टाइम लगभग दो घंटे है. ये सिन्हा और राव के बीच पहला कोलेबोरेशन है. बता दें कि अनुभव सिन्हा ने इसेस पहले समाज से जुड़े कई मुद्दों पर  फिल्में बनाई हैं जिन्हें क्रिटिक्स से भी काफी सराहना भी मिली है और ये फिल्में टिकट खिड़की पर भी काफी सफल रही हैं.  इनमें ‘आर्टिकल 15’, ‘मुल्क’, ‘थप्पड़’ जैसी कई फिल्में शामिल हैं.

इन फिल्मों से है भीड़’ की टक्कर
बता दें ‘भीड़’ को बॉक्स ऑफिस पर कई फिल्मों से टक्कर मिलेगी. इनमें पहले से टिकट खिड़की पर जमी बैठी रणबीर कपूर-श्रद्धा कपूर स्टारर ‘तू झूठी मैं मक्कार’ और रानी मुखर्जी स्टारर ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ शामिल है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी की इन फिल्मों के बीच राजकुमार राव स्टारर ‘भीड़’ सिनेमाघरों में ऑडियंस की कितना फुटफॉल लाने में सफल रहती है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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