टैकनोलजी

Elon Musk ने ChatGPT की कंपनी Open AI और उसके CEO पर किया केस

Tesla CEO: टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने शुक्रवार, 1 मार्च को चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी OpenAI और उसके सीईओ सैम अल्टमैन (Sam Altman) पर मुकदमा दायर कर दिया. एलन मस्क ने आरोप लगाया है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस वाली कंपनी ने लोगों की भलाई के लिए एआई सिस्टम बनाने के अपने लक्ष्य के साथ समझौता किया है और माइक्रोसॉफ्ट के अंडर अधिकतम कमाना ही अपना लक्ष्य बना लिया है.

ओपनएआई के खिलाफ केस दर्ज

आपको बता दें कि ओपनएआई अमेरिका की एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कंपनी है. इस कंपनी ने एआई टेक्नोलॉजी के फ्यूचर को देखते हुए चैटबॉट सर्विस की शुरुआत की थी, जिसका नाम ChatGPT है.

इस सर्विस ने बहुत कम समय में पूरी दुनिया में काफी लोकप्रियता हासिल की और एआई के मामले में सैम अल्टमैन की इस कंपनी ओपनएआई ने गूगल, सैमसंग और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियों को भी पीछे छोड़ दिया, लेकिन अब ओपनएआई को दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की एक क्लोज़्ड-सोर्स सहायक कंपनी में बदल दिया गया है.

इस नई साझेदारी के तहत यह कंपनी ना केवल खुद को डेवलप कर रही है, बल्कि माइक्रोसॉफ्ट के लिए भी अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए एजीआई (AGI) का उपयोग कर रही है, जबकि उन्हें इसका उपयोग मानवता की भलाई के लिए करना चाहिए था.

एलन मस्क ने क्या आरोप लगाया?

इसी मामले से नाराज़ होकर एलन मस्क ने ओपनएआई और सैम अल्टमैन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. कोर्टहाउस न्यूज़ के अनुसार, टेस्ला के सीईओ ने गुरुवार को सैन फ्रांसिस्को सुपीरियर कोर्ट में दायर मुकदमे में ओपनएआई पर अनुबंध का उल्लंघन, उचित कर्तव्य का उल्लंघन और अनुचित बिजनेस प्रैक्टिस का आरोप लगाया है. उन्होंने अपने मुकदमे में कहा है कि कंपनी ने अपने मूलभूत एग्रीमेंट्स का उल्लंघन किया है और उन्हें एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म पर वापस लौटना चाहिए.

इस मुकदमे में ओपनएआई के अध्यक्ष ग्रेगरी ब्रॉकमैन और इसके सीईओ सैम ऑल्टमैन का नाम मुख्य तौर पर लिया गया है. इसके अलावा मस्क ने कोर्ट से माइक्रोसॉफ्ट और ओपनएआई के टॉप ऑफिशियल्स को एआई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर मुनाफा कमाने पर रोक लगाने का भी आग्रह किया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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