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अमिताभ बच्चन ने ट्विटर पर ब्लू टिक वापस मिलने पर किया ट्वीट, बोले- ‘इ, लेओ और मुसीबत आई गई…’

Twitter Blue Tick: ट्विटर ने कई बड़ी और नामी हस्तियों के आगे से ब्लू टिक हटा लिया है. जिसके बाद से ही इसके लिए कई सेलिब्रिटी ने इसको लेकर प्रतिक्रिया दी थी. बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है. जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने ट्विटर पर ब्लू टिक के लिए लगने वाली राशि का भुगतान कर दिया है लेकिन फिर भी उन्हें ब्लू टिक नहीं मिला है. उन्हें उनका ब्लू टिक वापस दे दिया जाए. जिसके बाद बिग बी ने बड़े ही मजाकिया अंदाज में उन्हें ब्लू टिक वापस मिलने की भी जानकारी दी.

महानायक को वापस मिला ब्लू टिक
अमिताभ बच्चन को उनके ट्विटर अकाउंट पर ब्लू टिक वापस मिल गया है. इसके लिए उन्होंने लगने वाली उचित धनराशी का भुगतान किया है. अब बिग बी ने इसकी जानकारी बड़े ही मजाकिया अंदाज में  दी. उन्होंने भोजपुरी स्टाइल में लिखा, ‘इ, लेओ ! और मुसीबत आई गई  ! सब पूछत है, Twitter के तुम ‘भैया’ बुलाय, रहेओ! अब ‘मौसी’ कसे होई गई? तो हम समझावा की, पहले Twitter के निसानी, एक ठो कूकुर रहा, तो ओका भैया बुलावा। अब उ फिर से, एक फुदकिया बन गवा है, तो फुदकिया तो चिड़िया होत है ना, तो मौसी.’

ब्लू टिक ना मिलने पर भी किया था मजाकिया ट्वीट
बिग बी ने इससे पहले भी ट्विटर पर उचित पैसे देने पर भी ब्लू टिक ना मिलने पर बड़े ही मजाकिया अंदाज में इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने भोजपुरी स्टाइल में ही लिखा था, ‘ए twitter भइया! सुन रहे हैं? अब तो पैसा भी भर दिये हैं हम…  तो उ जो नील कमल होत है ना, हमार नाम के आगे, उ  तो वापस लगाय दें भैया, ताकि लोग जान जायें की हम ही हैं- Amitabh Bachchan.. हाथ तो जोड़ लिये रहे हम। अब का, गोड़वा जोड़े पड़ी का??’

 

भारत में ट्विटर पर ब्लू टिक के लिए लग रहे इतने पैसे
भारत में ट्विटर ब्लू के लिए वेब यूजर्स को 650 रुपये तो वहीं IOS और एंड्रॉइड यूजर्स को 900 रुपये का भुगतान हर महीने कंपनी को करना होगा. ट्विटर ब्लू में लोगों को आम यूजर के मुकाबले कई खास सुविधाएं दी जाती हैं जिसमें ट्वीट को अनडू, एडिट, एचडी वीडियो अपलोड, टेक्स्ट मैसेज बेस्ड 2FA आदि शामिल हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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