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पिछड़ गए फेसबुक और टिकटॉक, इंस्टाग्राम बना दुनिया में नंबर-वन

World’s Number 1 App: दुनिया के नंबर 1 ऐप को लेकर अक्सर लोगों को लगता है कि फेसबुक या टिकटॉक पहले पायदान पर होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. अब इंस्टाग्राम इन दोनों ऐप्स को पछाड़कर पहले नंबर पर पहुंच गया है. दरअसल कुछ देशों में टिकटॉक के बैन होने के चलते इंस्टाग्राम को फायदा हुआ है. इसके अलावा भी टिकटॉक के पिछड़ने के कुछ अन्य कारण हैं.

सेंसर टावर की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में इंस्टाग्राम के डाउनलोड में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. साल 2023 में इंस्टाग्राम ऐप को 76.7 करोड़ बार डाउनलोड किया गया, जो एक साल पहले यानी 2022 की तुलना में 20 फीसदी ज्यादा है. वहीं टिकटॉक की बात करें तो इसे 73.3 करोड़ बार डाउनलोड किया गया. चीन के इस ऐप पर भारत में प्रतिबंध लगा हुआ है और अमेरिका में बैन की तैयारियां चल रही हैं.

इंस्टाग्राम कैसे बना इतना पॉपुलर?

इंस्टाग्राम की लोकप्रियता 2020 के बाद से ज्यादा बढ़ी है, क्योंकि इसी साल रील्स लॉन्च हुई थी. लोगों के वीडियोज के क्रेज के बाद ही इंस्टाग्राम रील्स को लॉन्च किया गया था. इंस्टाग्राम रील्स वो फीचर है, जिसमें यूजर्स शॉर्ट क्लिप बनाकर इस प्लेटफॉर्म पर वीडियोज शेयर कर सकते हैं.

इंस्टाग्राम का रील फीचर सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी के बीच पॉपुलर है. युवा अलग-अलग टॉपिक्स पर वीडियोज बनाते हैं और इंस्टाग्राम पर शेयर करते हैं. इंस्टाग्राम ऐप की पॉपुलेरिटी बढ़ने की यह बड़ी वजह है.

टाइम स्पेंट के मामले में टिकटॉक आगे 

इंस्टाग्राम डाउनलोड के मामले में दुनिया का नंबर 1 ऐप भले ही बन गया हो, लेकिन टाइम स्पेंट के मामले में अभी भी टिकटॉक ही आगे है. पिछले साल के आंकड़ें बताते हैं कि यूजर्स ने टिकटॉक पर औसतन 95 मिनट बिताए, तो वहीं इंस्टाग्राम पर ये समय 62 मिनट था. इसके अलावा एक्स (पूर्व ट्विटर) पर 30 मिनट और स्नैपचैट पर यूजर्स ने 19 मिनट बिताए. 

भारत सरकार ने साल 2020 में टिकटॉक को बैन कर दिया था, तब भारत सरकार ने चीनी स्वामित्व वाले 59 ऐप पर कार्रवाई की थी, जिसके बाद बाइटडांस को भारत से बड़ा झटका लगा था. करीब डेढ़ अरब की आबादी के साथ इंटरनेट व टेक कंपनियों के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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