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एक्टिविटी ऑफ फीचर से इंस्टाग्राम पर सिक्योर कर सकते हैं अपनी प्राइवेसी, जानिए कैसे करें यूज

Instagram : मेटा ने इंस्टाग्राम यूजर्स की प्राइवेसी को मेंटेन करने के लिए एक्टिविटी ऑफ फीचर लॉन्च किया है, जिसके बाद अब इंस्टाग्राम यूजर्स किसी दूसरी वेबसाइट या ऐप के जरिए उनकी निजी जानकारी को लेने की प्रोसेस को ब्लॉक कर सकते हैं. आपको बता दें कंपिनया इस जानकारी का यूज यूजर्स की जरूरत के विज्ञापन और जानकारी देने के लिए करते हैं. ये एक तरीके से एग्रेसिव मार्केटिंग का तरीका है. जिसमें कुकीज की मदद से यूजर्स की सर्च हिस्ट्री को ट्रैक करके उनकी पसंद नापसंद का अनुमान लगाया जाता है. 

डेटा लेने से पहले लेनी होगी परमिशन

अभी तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिना यूजर्स की जानकारी के डेटा ले लिया जाता था, लेकिन मेटा के इंस्टाग्राम के लिए रिवील किए नए एक्टिविटी ऑफ मेटा फीचर के आने के बाद इंस्टाग्राम से यूजर्स की अगर कोई जानकारी लेनी होगी तो पहले इसके लिए यूजर से परमिशन लेनी होगी. वहीं यूजर्स चाहे तो डेटा लेने वाले ऐप्स और वेबसाइट को ब्लॉक भी कर सकते हैं.

ये है पूरा मामला

दरअसल, 2021 में मेटा ने नई प्राइवेसी पॉलिसी पेश की थी और यूजर्स से इसके लिए सहमति भी मांगी गई थी. नई प्राइवेसी पॉलिसी के तहत व्हाट्सएप का डाटा फेसबुक, इंस्टाग्राम और पार्टनर कंपनियों के साथ शेयर किया जा सकता है. इस डाटा का इस्तेमाल यूजर्स को निजीकृत विज्ञापन दिखाने के लिए किया जाता है. जो अब नहीं होगा.

हालांकि, इसके बाद मेटा को कई देशों में कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ा है. अब कंपनी ने इसके लिए यूजर्स को कंट्रोल दे दिया है. यानी यूजर्स यदि मेटा को अपने डाटा का एक्सेस नहीं देना चाहते तो वह डाटा को हटा सकते हैं और अपनी स्पेशल एक्टिविटी को भी डिस्कनेक्ट कर सकते हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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