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WhatsApp में आया एक जरूरी अपडेट, जिसकी ज्यादातर यूजर्स को थी जरूरत

WhatsApp: व्हाट्सऐप यूज़ करने वाले यूज़र्स के लिए एक जरूरी ख़बर है. व्हाट्सऐप यूज़ करने वाले यूज़र्स अब अपने चैट बॉक्स में तीन चैट्स को पिन कर सकते हैं. आपको बता दें कि व्हाट्सऐप ने कुछ महीने पहले ही अपने इस खास फीचर को रोलआउट किया था, जिसके मुताबिक यूज़र्स व्हाट्सऐप की चैट लिस्ट में अपनी पसंदीदा चैट को पिन करके सबसे ऊपर रख सकते थे. हालांकि, उस वक्त कंपनी ने सिर्फ एक ही चैट को पिन करने का विकल्प दिया था, लेकिन अब कंपनी ने अपने इस फीचर को एक्सपैंड कर दिया है.

व्हाट्सऐप का नया फीचर

अब व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स एक नहीं बल्कि तीन चैट्स को पिन करके अपने प्रोफाइल में सबसे ऊपर रख सकते हैं. यूज़र्स इन तीन चैट्स में किसी पर्सनल इंसान के साथ-साथ किसी ग्रुप चैट को भी पिन कर सकते हैं, लेकिन कुल मिलाकर अधिकतम तीन चैट्स को ही पिन कर पाएंगे. 

व्हाट्सऐप की पेरेंट कंपनी मेटा के फाउंडर मार्क ज़ुकरबर्ग ने इस खास फीचर का ऐलान किया है. मार्क ज़ुकरबर्ग ने अपने आधिकरिक चैलन के जरिए ऐलान किया है कि अब व्हाट्सऐप यूज़र्स अधिकतम तीन चैट्स बॉक्स को पिन कर पाएंगे. एक्स (पुराना नाम ट्विटर) पर भी व्हाट्सऐप के आधिकारिक अकाउंट के जरिए इस बात का ऐलान किया गया है. 

3 चैट्स को कर पाएंगे पिन

इस फीचर की मदद से यूज़र्स अपने सबसे जरूरी व्हाट्सऐप चैट बॉक्स को प्रोफाइल में सबसे ऊपर रख पाएंगे. कई बार ऐसा होता है कि किन्हीं यूज़र्स या ग्रुप का चैट बॉक्स नीचे चला जाता है और यूज़र्स कई मौके पर उन चैट्स तक जल्दी नहीं पहुंच पाते हैं. अब यूज़र्स को इस समस्या का हल मिल गया है. अब वो चाहे तो एक ये लेकर तीन चैट्स को पिन कर सकते हैं.

व्हाट्सऐप ने अपने इस फीचर को एंड्रॉयड और आईओएस दोनों डिवाइस के लिए चालू किया है. हालांकि, हमने व्हाट्सऐप के इस फीचर को माइक्रोसॉफ्ट विंडो में भी इस्तेमाल किया तो हम सिर्फ एक ही नहीं बल्कि तीन चैट बॉक्स को पिन कर पा रहे थे. इसका मतलब है कि व्हाट्सऐप का यह फीचर सिर्फ ऐप में नहीं बल्कि वेब वर्ज़न में भी काम कर रहा है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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