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WhatsApp पर गलत या अधूरे भेजे गए मैसेज को अब कर पाएंगे एडिट, ये है तरीका

WhatsApp Edit Message Feature: जिस फीचर का लोगों को सदियों से इन्तजार था वो आखिरकार वॉट्सऐप पर आ गया है. कंपनी ने एडिट मैसेज का ऑप्शन यूजर्स के लिए रोलआउट करना शुरू कर दिया है. फिलहाल ये फीचर कुछ लोगों को ऐप पर दिखा है, जल्द सभी लोगों को ये मिलेगा. यदि आपको अपडेट नहीं मिलता है तो आप ऐप को प्लेस्टोर पर जाकर अपडेट कर लें. इस फीचर की मदद से यूजर्स गलत टाइप या अधूरे भेजे गए मेसेजेस को एडिट कर पाएंगे. हालांकि इसके लिए एक टाइम लिमिट भी है

सिर्फ इतने मिनट तक के मैसेज होंगे एडिट 

वॉट्सऐप पर आप केवल 15 मिनट पहले भेजे गए मैसेज को एडिट कर पाएंगे. यदि आप इस टाइम के बाद कोई मैसेज एडिट कर चाहेंगे तो ऐसा नहीं होगा. ये टाइम लिमिट कंपनी ने इसलिए लगाई है ताकि कोई अपनी कही हुई बात से न मुकर जाएं. यदि टाइम लिमिट नहीं होगी तो यूजर किसी भी मैसेज कभी भी एडिट कर सकता है.

कॉल, मेसेजेस और मीडिया की तरह ‘एडिटेड मेसेजेस’ भी एन्ड टू एन्ड एन्क्रिप्टेड होंगे. जिस मैसेज को आप एडिट करेंगे वो सामने वाले यूजर को एडिटेड के रूप में नजर आएगा, हालांकि एडिट हिस्ट्री उसे नहीं दिखेगी. मेसेजेस को एडिट करने के लिए आपको उसे देर तक टैप करके रखना होगा. इसके बाद आपको एडिट मैसेज का ऑप्शन दिखेगा. 

हाल ही में ऐप पर जुड़ा है ये फीचर

वॉट्सऐप ने हाल ही में यूजर्स को चैट लॉक फीचर प्रदान किया है. चैट लॉक फीचर की मदद यूजर्स अपनी पर्सनल चैट्स को लॉक कर सकते हैं. चैट को लॉक करने के लिए आपको उस चैट की प्रोफाइल में जाना होगा जिसे आप लॉक करना चाहते हैं और इनेबल चैट लॉक ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. ऐसा करते ही चैट एक दूसरे फोल्डर में मूव हो जाएगी जिसे सिर्फ आप एक्सेस कर पाएंगे. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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