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WhatsApp में अब आप खुद बना पाएंगे अपना मनपसंद स्टिकर, थर्ड पार्टी ऐप्स की नहीं पड़ेगी जरूरत

WhatsApp Sticker Editor: वॉट्सऐप में फिलहाल अगर आप स्टिकर के जरिए एक दूसरे से बातचीत करते हैं या अपनों को इस खास तरीके से किसी त्यौहार की बधाई देते हैं तो इसके लिए आपको स्टिकर पैक को डाउनलोड करना पड़ता है. अगर आप डाउनलोड नहीं भी करते हैं तो आपको दूसरों के द्वारा भेजे गए स्टिकर को फेवरेट के रूप में मार्क करना पड़ता है ताकि आप इन्हें आगे भेज पाएं. हालांकि जल्द कंपनी थर्ड पार्टी ऐप्स पर आपकी निर्भरता को खत्म करने वाली है. आप खुद ऐप से अपना मनपसंद स्टीकर बना पाएंगे. जानिए कैसे?

वॉट्सऐप के डेवलपमेंट पर नजर बनाये रखने वाली वेबसाइट Wabetainfo के मुताबिक, कंपनी ने वॉट्सऐप iOS बीटा टेस्टर्स को चैटिंग के दौरान भेजे गए स्टिकर को एडिट कर अपने पसंद का स्टिकर बनाने का ऑप्शन दिया है. इसके साथ ही कंपनी ने एक नया ऑप्शन ‘Create your Own’ नाम से दिया है. इसपर क्लिक कर iOS यूजर्स गैलरी से किसी फोटो का स्टिकर बना सकते हैं. साथ ही इसे एडिट भी कर सकते हैं. इस नए फीचर की वजह से यूजर्स को थर्ड पार्टी ऐप्स की जरूरत नहीं पड़ेगी और वे वॉट्सऐप के अंदर ही स्टिकर्स को बना पाएंगे.

फिलहाल ये अपडेट कंपनी ने iOS बीटा टेस्टर्स के लिए जारी किया है. जल्द ये अपडेट एंड्रॉइड बीटा टेस्टर्स को भी मिल सकता है.
   

मूड के हिसाब से बदल पाएंगे वॉट्सऐप का रंग 

वॉट्सऐप ने iOS बीटा टेस्टर्स के लिए एक नया फीचर अपीयरेंस सेक्शन के अंदर दिया है. कंपनी ने यूजर्स को ऐप का कलर चेंज करने की सुविधा दी है. iOS यूजर्स अपने मूड के हिसाब से वॉट्सऐप के मेन कलर को पिंक, ब्लैक, ग्रीन, लाइट ब्लू और वायलेट कलर में चेंज कर पाएंगे. इस फीचर को कंपनी ने लोगों के यूजर एक्सपीरियंस को बदलने के लिए दिया है. फिलहाल ये केवल बीटा टेस्टर्स तक सीमित है जो एंड्रॉइड यूजर्स को भी जल्द मिल सकता है.    

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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