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WhatsApp पर आप मत करना ये गलती, जून महीने में 66 लाख से ज्यादा अकाउंट हुए बैन 

WhatsApp June User Safety Report: आईटी रूल 2021 के तहत वॉट्सऐप ने जून महीने के लिए सेफ्टी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में ये बात निकलकर सामने आई है कि कंपनी ने 1 जून से लेकर 30 जून के बीच 66 लाख से ज्यादा इंडियन अकाउंट्स को बैन किया है. बैन की वजह कंपनी के नियमों के खिलाफ जाकर प्लेटफॉर्म पर एक्टिव रहना है. दरअसल, कंपनी ऐसे किसी भी अकाउंट को बैन कर सकती है जिसके खिलाफ उसे शिकायत मिली हो. साथ ही स्पैम, फ्रॉड और अन्य तरीकों से कंपनी की पॉलिसी और T&C को ब्रेक करने वाले अकाउंट को भी बैन किया जाता है. 

जून महीने में कंपनी ने 66,11,700 आकउंट्स को बैन किया है जिसमें से 24,34,200 अकाउंट्स को कंपनी ने बिना किसी शिकायत के खुद अपनी जांच के तहत बैन किया है. जून महीने में वॉट्सऐप को 7,893 शिकायतें मिली थी जिसमें से कंपनी ने 337 के खिलाफ कार्रवाई की है. खातों पर कार्रवाई उन रिपोर्टों को दर्शाता है जहां वॉट्सऐप ने रिपोर्ट के आधार पर उपचारात्मक कार्रवाई की. कार्रवाई करने का मतलब है या तो किसी खाते पर प्रतिबंध लगाया गया है या पहले से प्रतिबंधित खाते को बहाल किया गया है. कंपनी की यूजर सेफ्टी रिपोर्ट ये बताती है कि कंपनी ने मिली हुई शिकायतों पर क्या कार्रवाई की है. साथ ही कंपनी ने खुद कितना काम यूजर्स को सुरक्षित रखने एक लिए प्लेटफॉर्म पर किया है.

ई-मेल फीचर पर चल रहा काम 

वॉट्सऐप एक नए फीचर पर काम कर रहा है जो यूजर्स की सेफ्टी को और मजबूत करेगा. दरअसल, कंपनी ईमेल को वॉट्सऐप अकाउंट के साथ जोड़ने पर काम रही है ताकि अकाउंट को वेरिफाई और सुरक्षित रखा जा सके. जिस तरह अभी दूसरे सोशल मीडिया ऐप्स पर लॉगिन के वक्त ईमेल में कोड या अन्य जानकारी जाती है, ठीक ऐसा ही वॉट्सऐप भी कर सकता है. फिलहाल इस फीचर पर काम चल रहा है और ये कुछ बीटा टेस्टर्स के लिए उपलब्ध है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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