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हैकर भी क्रैक नहीं कर पाएगा आपका पासवर्ड, बस ध्यान में रखिए पेटीएम वाले विजय शर्मा का ये मंत्र

Password Protection :  पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने पासवर्ड सुरक्षा पर एक मूल्यवान सलाह साझा की है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि पासवर्ड की लंबाई सबसे महत्वपूर्ण है. पासवर्ड की मजबूती के विषय पर बोलते हुए, शर्मा ने बताया, “पासवर्ड की लंबाई सबसे ज्यादा मायने रखती है. इसे बनाने के लिए कुछ स्मॉल लैटर को भी जोड़ें.” यह सरल लेकिन प्रभावी मार्गदर्शन हैकिंग प्रयासों को विफल करने के लिए पासवर्ड में विभिन्न प्रकार के वर्णों को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डालता है.

 शर्मा ने एक उदाहरणा देते हुए एक पिक्चर साझा की, जिसमें एक हैकर द्वारा पासवर्ड डालने में लगने वाले समय को दर्शाया गया है. पिक्चर ने स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया कि कैसे लंबे और अधिक जटिल पासवर्ड उन्हें क्रैक करने के लिए आवश्यक समय को काफी बढ़ा सकते हैं, जो तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया में मजबूत पासवर्ड के प्रयासो को मजबूत करते हैं. 

1. टिपिकल पासवर्ड बनाएं : विजय शेखर शर्मा की सलाह का पालन करें और अपने पासवर्ड को लंबा और अधिक जटिल बनाएं. ऐसे मजबूत पासवर्ड बनाने के लिए अपरकेस और लोअरकेस अक्षरों, संख्याओं और स्पेशल करैक्टर के संयोजन का उपयोग करें जिनका अनुमान लगाना कठिन हो.

2. सामान्य शब्दों और पैटर्न से बचें : आसानी से अनुमान लगाने योग्य शब्दों या पैटर्न, जैसे “पासवर्ड” या “123456” का उपयोग करने से बचें. खातों में सेंध लगाने का प्रयास करते समय हैकर अक्सर सामान्य वाक्यांशों और अनुक्रमों पर भरोसा करते हैं.

3. कॉमन पासवर्ड का यूज न करें :  अगर आप कॉमन पासवर्ड यूज करते हैं, तो उससे आपको बचना चाहिए. जैसे आपको अपने पैट एनिमल, अपने नाम या किसी शहर और वस्तु के नाम पर अपना पासवर्ड सेट नहीं करना चाहिए.

4. 2 ऑथाटिफिकेशन का करें एक्टिव : जब भी संभव हो, अपने खातों के लिए 2 अथॉटिफिकेशन को एक्टिव करें. यह दूसरे सत्यापन चरण की आवश्यकता के द्वारा सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है, जैसे कि आपके मोबाइल डिवाइस पर भेजा गया कोड.

5. नियमित रूप से पासवर्ड अपडेट करें : अपने पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें. यह अभ्यास आपके खातों तक अनधिकृत पहुंच के जोखिम को कम करता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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