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साउथ एक्टर चंद्रकांत ने किया सुसाइड, बर्दाश्त नहीं कर पाए पवित्रा जयराम की मौत का सदमा

साउथ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से एक सप्ताह के अंदर दूसरी दुखद खबर आई है। दरअसल, एक्टर चंद्रकांत ने आत्महत्या कर ली है। चंद्रकांत ने अपनी को-स्टार पवित्रा जयराम की सड़क हादसे में निधन के एक सप्ताह बाद आत्महत्या कर ली है। चंद्रकांत के निधन से उनके फैंस और साउथ इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई। बताया जा रहा है कि पवित्रा जयराम के निधन के बाद से चंद्रकांत सदमे में थे और अपनी को-स्टार को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट कर रहे थे। चंद्रकांत और पवित्रा जयराम एक-दूसरे के बेहद करीब थे। चंद्रकांत और पवित्रा जयराम की एक सप्ताह के अंदर निधन की खबर को सुनकर फैंस को भरोसा करना मुश्किल हो रहा है।

चंद्रकांत और पवित्रा जयराम ने साथ में किया काम

चंद्रकांत और पवित्रा जयराम ने तेलुगू टीवी सीरियल में साथ में काम किया है। बताया जाता है दोनों स्टार्स एक-दूसरे को डेट कर रहे थे। पवित्रा जयराम के सड़क हादसे में मौत के बाद से चंद्रकांत काफी सदमे में थे। चंद्रकांत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से पवित्रा जयराम के लिए एक इमोशनल नोट लिखा था। चंद्रकांत के पिता ने पुलिस को बयान में बताया है कि उनका बेटा पिछले कुछ दिनों से काफी परेशान था। रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि जिस घर में चंद्रकांत का शव लटका मिला, उस घर में वह कुछ समय से पवित्रा जयराम के साथ रहते थे।

पवित्रा जयराम का सड़क हादसे में हुआ निधन

बताते चलें कि एक्ट्रेस पवित्रा जयराम का 12 मई को सड़क हादसे में निधन हो गया था। आंध्र प्रदेश के मेहबूबा नगर के पास एक भीषण कार हादसे में पवित्रा जयराम की जान चली गई थी। इस हादसे में पवित्रा जयराम का ड्राइवर और चचेरी बहन गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बता दें कि पवित्रा जयराम शादीशुदा थीं और अपने पति से अलग हो गई थीं। पवित्रा जयराम के दो बच्चे थे। वहीं, चंद्रकांत ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वह अपने पवित्रा जयराम के रिश्ते का ऐलान करने हैं।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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