टैकनोलजी

एलन मस्क करेंगे एप्पल के सीईओ से टैक्स घटाने के लिए करेंगे बात, घटाना चाहते हैं एप स्टोर की फीस

टेस्ला और एक्स यानी जो पहले ट्विटर कहलाता था, के प्रमुख एलन मस्क (Elon Musk) ने कहा है कि वह एप्पल के सीईओ टिम कुक (Apple CEO Tim Cook) से टैक्स कम करने के लिए बात करेंगे. मस्क चाहते हैं कि ऐप स्टोर प्लेटफॉर्म पर क्रिएटर्स की कमाई बढ़ाने के लिए एक्स द्वारा सब्सक्रिप्शन पर दी जाने वाली फीस को कम कर दिया जाए. मस्क ने इस बारे में एक्स पर एक पोस्ट में यह बात बताई. मस्क ने इस पोस्ट में लिखा कि ऐप स्टोर को एक्स की सदस्यता पर 30 प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए, जो पहले 12 महीनों के लिए शून्य है.

फिलहाल कितना है चार्ज

खबर के मुताबिक, दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी आईओएस (ऑपरेटिंग सिस्टम) पर सभी इन-ऐप खरीदारी पर 30 प्रतिशत की कटौती करता है जिसमें एक्स के जरिये क्रिएटर्स द्वारा बेची गई मेंबरशिफ भी शामिल है. दुनिया के हर कोने से लोग एक्स पर अविश्वसनीय सामग्री पोस्ट करते हैं, लेकिन अक्सर कठिन परिस्थितियों में रहते हैं, जहां प्रति माह कुछ सौ डॉलर भी उनका जीवन बदल देते हैं. 

एक्स पहले 12 महीनों के लिए सभी के लिए फ्री

मस्क का कहना है कि क्रिएटर्स का भुगतान 1,00,000 डॉलर से ज्यादा होने पर एक्स सिर्फ 10 प्रतिशत लेगा. एक्स पहले 12 महीनों के लिए सभी के लिए फ्री है. पिछले साल, मस्क ने इस बात पर फोकस किया था कि Apple के पास इंटरनेट पर 30 प्रतिशत हिडन टैक्स है. उन्होंने कहा कि आईओएस/एंड्रॉइड एकाधिकार के चलते ऐप स्टोर फीस (app store fee) बहुत ज्यादा है.

यूजर को मस्क ने दिया ये जवाब

बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक, एक्स पर मस्क (Elon Musk) की हालिया पोस्ट पर, एक यूजर ने प्रतिक्रिया देते हुए सुझाव दिया कि मस्क रेट को आधा कर सकते हैं. दूसरे ने लिखा- यह सच है. मुझे लगता है कि फीस बेस्ड सब्सक्रिप्शन पर कीमत बदलने में सक्षम होना सही होगा. क्या इसे जल्द ही लागू किया जाएगा?” इस पर मस्क ने जवाब दिया- हां, यह जल्द ही आ रहा है.

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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