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तीसरे मंडे बॉक्स ऑफिस पर ‘फुकरे 3′ की कमाई का गिर गया ग्राफ, करोड़ों से लाखों में सिमटी फिल्म

Fukrey 3 Box Office Collection Day 19: ‘फुकरे 3′ अब तक बॉक्स ऑफिस पर शानदार परफॉर्म कर रही है. वरुण शर्मा, पुलकित सम्राट और ऋचा चड्ढा स्टारर ये फिल्म 28 सितंबर को विवेक अग्निहोत्री की ‘द वैक्सीन वॉर’ के साथ रिलीज हुई थी. जहां ‘द वैक्सीन वॉर’ बॉक्स ऑफिस पर फुस्स साबित हुई तो वहीं ‘फुकरे 3′ कई नई रिलीज के बावजूद अभी भी टिकट खिड़की पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए हैं. चलिए जानते हैं ‘फुकरे 3’ ने रिलीज के 19वें दिन कितनी कमाई की है.

‘फुकरे 3′ ने रिलीज के 19वें दिन कितनी कमाई की?
‘फुकरे 3′ 28 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. फुकरे बॉयज और भोली पंजाबन को फिर से स्क्रीन पर देखने के लिए फैंस को कुछ सालों तक इंतजार करना पड़ा और जब ‘फुकरे 3′ सिनेमाघरों में पहुंची तो दर्शकों पर इसकी खुमारी चढ़ गई और इसे ऑडियंस का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला. यहां तक कि बॉक्स ऑफिस पर तमाम नई रिलीज और चल रहे क्रिकेट विश्व कप का भी ‘फुकरे 3′ की परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं हुआ है और दर्शक इस पर खूब प्यार बरसा रहे है. फिल्म अब अपनी रिलीज के तीसरे हफ्ते में हैं. जहां ‘फुकरे 3’ ने तीसरे शुक्रवार 5.1 करोड़ कमाए तो वहीं तीसरे शनिवार फिल्म का कलेक्शन 2.04 करोड़ रुपये रहा. तीसरे रविवार फिल्म ने 2.40 करोड़ का कलेक्शन किया. वहीं अब फिल्म की रिलीज के 19वें दिन यानी तीसरे सोमवार की कमाई के शुरुआती आंकड़े आ गए हैं.

  • सैकनिल्क की अर्ली ट्रेंड रिपोर्ट के मुताबिक ‘फुकरे 3′ ने रिलीज के तीसरे मंडे यानी 19वें दिन 85 लाख का बिजनेस किया है.
  • इसी के साथ ‘फुकरे 3′ का 19 दिनों का कुल कलेक्शन 91.68 करोड़ रुपये हो गया है.

 फुकरे 3′ की कमाई में आई गिरावट
‘फुकरे 3′ की अब तक की बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट शानदार रही है. फिल्म ने 90 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन कर लिया है. हालांकि रिलीज के 19वें दिन फिल्म की कमाई में भारी गिरावट आई है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि ‘फुकरे 3′ 100 करोड़ के आंकड़े को कब तक छू पाएगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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