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अलर्ट! गर्मियों में खतरनाक हो सकते हैं ये Electronic Devices, यूज करते समय रहें सावधान

Bad Effects of Electronic Gadgets in Summer: आमतौर पर गर्मियों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज जल्दी गर्म हो जाते हैं. तापमान बढ़ने के साथ  मशीनों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि इन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को यूज करते समय अधिक सावधानी रखी जाए. आइए, हम आपको बताते हैं कि गर्मियों में कौन कौन से डिवाइस से आपको खतरा हो सकता है. 

रेफ्रिजरेटर: गर्मियों में फ्रिज में खाने पीना का सामान अधिक मात्रा में रखा जाता है. इससे कंप्रेसर पर दबाव बढ़ता है और कई बार मशीन खराब होने का भी खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि फ्रिज को ऐसी जगह पर रखें जहां हवा निकलने की जगह हो. 

लैपटॉप और कंप्यूटर: लैपटॉप और कंप्यूटर को ज्यादा चार्ज करने से जलने या आग लगने का खतरा हो सकता है. 

स्मार्टफोन: गर्मी के मौसम में लंबे समय तक स्मार्टफोन का उपयोग ओवरहीटिंग का कारण बन सकता है, जिससे बैटरी खराब हो सकती है या विस्फोट हो सकता है. 

गेमिंग कंसोल: PlayStation और Xbox जैसे गेमिंग कंसोल लंबे समय तक उपयोग के दौरान ज्यादा गर्म हो सकते हैं, जिससे संभावित रूप से जलने या आग लग सकती है.

पावर बैंक और पोर्टेबल चार्जर: पावर बैंकों की ओवरचार्जिंग या ओवरहीटिंग से विस्फोट या आग लग सकती है.

एयर कंडीशनर रिमोट कंट्रोल: सीधी धूप या तापमान बढ़ने से बैटरी में रिसाव हो सकता है या रिमोट कंट्रोल को नुकसान हो सकता है.

वायरलेस ईयरबड और हेडफोन: गर्म मौसम में लंबे समय तक उपयोग से ईयरबड और हेडफोन ज्यादा गर्म हो सकते हैं, जिससे भारी नुकसान हो सकता है.

स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर: स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर ज्यादा गर्म होने से स्किन में जलन हो सकती है.

सुरक्षित रहने के लिए करें ये उपाय

  • ठंडी जगहों पर डिवाइस का उपयोग करें
  • उपकरणों को सीधी धूप या गर्म कारों में छोड़ने से बचें
  • डिवाइस के उपयोग से समय समय पर ब्रेक लें
  • डिवाइस के तापमान की निगरानी करें
  • डिवाइस की देखभाल के लिए निर्माता के दिशानिर्देशों का पालन करें.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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