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Tech Tips: स्‍कैन्‍ड कॉपीज का ऐसे टेक्‍स्‍ट में कर सकते हैं तब्‍दील, की-बोर्ड नहीं होगा जरूरी

How to convert Image to Text: कई बार हमारे पास ऐसे दस्तावेज या फाइल्स आती हैं जो भविष्य के लिहाज से हमारे लिए इम्पोर्टेन्ट होती हैं. अगर स्कूली बच्चा है तो उसे पुरानी फाइल अपने आने वाले दिनों के लिए चाहिए होती है. ऐसे में अमूमन ज्यादातर लोग या तो फाइल को संभाल कर रखते हैं या उसकी फोटो खींच कर रख लेते हैं. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी ट्रिक्स बताने वाले हैं जिनके जरिए आप किसी हार्ड कॉपी फाइल या लेटर को आसानी से कुछ ही सेकंड्स में अपने लैपटॉप या डेस्कटॉप पर डॉक्यूमेंट फाइल के रूप में सेव कर सकते हैं. दूसरी भाषा में कहें तो अगर आप कोई फाइल को लैपटॉप पर टाइप करना चाहते हैं तो ये काम आप बिना की-बोर्ड के इस्तेमाल किए कर सकते हैं. जानिए कैसे?

इस तरह आसनी से डिजिटली सेव करें फाइल 

किसी लेटर को अगर आप टाइप किए बगैर अपने कम्प्यूटर पर सेव करना चाहते हैं तो इसके लिए आप ये तीन ट्रिक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.

  • आप जिस भी लेटर या फाइल को कम्प्यूटर पर सेव करना चाहते हैं सबसे पहले उसकी फोटो लें और फिर उसे गूगल ड्राइव पर अपलोड कर दें. ध्यान दें, आपकी फोटो साफ-सुथरी होनी चाहिए. गूगल ड्राइव में अपलोड करने के बाद फाइल पर राइट क्लिक करें और इसे गूगल डॉक्स पर ओपन कर लें. ऐसा करते ही फोटो पर लिखा टेक्स्ट कम्प्यूटर पर अपने आप आ जाएगा और फिर आप इसे सेव कर सकते हैं.
  • दूसरा तरीका ये है कि आप फाइल या फोटो को tinywow.com पर अपलोड करें और यहां इमेज टू टेक्स्ट के ऑप्शन को सेलेक्ट कर लें. फाइल के अपलोड होते हो उसमें मौजूद सारा टेक्स्ट लिखकर सामने आ जाएगा.
  • तीसरा तरीका ये है कि आप अपने कम्प्यूटर पर माइक्रोसॉफ्ट वर्ड को खोलें और फिर विंडो+H को दबाएं. ये कमांड देने पर ‘माइक्रोसॉफ्ट स्पीच सर्विस’ ऑन हो जाएगी और आप बोल-बोलकर फाइल को बिना की-बोर्ड के टाइप कर सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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