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‘रहना पड़ेगा केयरफुल…’, एआई टेक्नोलॉजी को लेकर बोले एआर रहमान

AR Rahman On AI Technology: एआर रहमान ने रजनीकांत की फिल्म लाल सलाम के गाने थिमिरी येज़ुदा के लिए दो दिवंगत सिंगर्स की आवाज रिक्रिएट की थी. उन्होंने एआई टेक्नोलॉजी की मदद से दिवंगत सिंगर्स बंबा बाक्या और शाहुल हमीद की आवाज को रिक्रिएट किया था. अब एक्टर ने इससे जोड़ते हुए एआई टेक्नोलॉजी पर बात की है और बताया है कि कैसे इसे बहुत सावधानी के साथ इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है.

‘द गोट लाइफ’ के म्यूजिक लॉन्च इवेंट में इंडिया टुडे से बात करते हुए एआर रहमान ने कहा, ‘मुझे लगता है कि एआई का इस्तेमाल अपलिफ्ट के लिए भी किया जा सकता है. हमारे पास मौजूद सभी जेनेरेशनल अभिशापों को मिटाया जा सकता है और हम गरीबों को अपलिफ्ट कर सकते हैं और आर्ट और साइंस फील्ड  में नेताओं को एजुकेट और नरिश कर सकते हैं. क्योंकि अब उनके पास टूल हैं, उन्हें कई सालों तक स्टडी करने की जरूरत नहीं है.’ 

‘अपने फायदे के लिए इसे यूज करने…’
एआर रहमान ने आगे एआई को लेकर आगे ये भी शक जाहिर किया कि कहीं इसका इस्तेमाल नौकरियां न छीन लें. इस पर अपनी राय देते हुए सिंगर ने कहा- ‘मुझे लगता है कि अपने फायदे के लिए इसे यूज करने का सबसे अच्छा तरीका लोगों को नौकरी से निकालना नहीं है, बल्कि उनकी जिंदगी में सुधार करना है.’

बहुत केयरफुल रहना पड़ेगा: एआर रहमान
सिंगर ने कहा- ‘एक नेता के तौर पर, एक इम्प्लॉई के तौर पर, कभी-कभी हमें बहुत, बहुत केयरफुल रहना पड़ेगा कि कोई नौकरी न जाए. हमें इसका यूज इस तरह करना चाहिए कि हम उन चीजों की कमी को पूरा कर सकें जिनके लिए समय की जरूरत है. एआर रहमान ने फिर कहा, ‘आर्ट के साथ भी अगर आप कुछ बना रहे हैं, तो इमैजिन करें कि सफर अब बहुत आसान है और कोई इसे एक अलग लेवल पर ले जा सकता है, हमें इसे चीजों को आगे बढ़ाने और स्पीड देने के एक टूल के तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत है.’

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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