टैकनोलजी

बच्चों को लग रही सोशल मिडिया की लत, ये रिपोर्ट आपको भी कर देगी हैरान

<div class="LC20lb MBeuO DKV0Md"><strong>Smartphone and Internet Addiction: </strong>दुनियाभर की कुल आबादी में से लगभग 93% की आबादी इंटरनेट सेवा से कनेक्टेड है और इसमें से लगभग 60% यानि 4.8 बिलियन लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. दिन-प्रतिदिन सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ रहा है और इससे लोगों को स्वास्थ संबंधी परेशानियां भी हो रही हैं. खासकर युवा पीढ़ी के लिए आज लाइक्स, फॉलोअर्स, रीच और वायरल जैसे शब्द बेहद मायने रखते हैं. युवा पीढ़ी आज दिन के 24 घंटो में से कई घंटे सिर्फ सोशल मीडिया को स्क्रॉल करने में बिताती है.</div>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>गेमिंग और रील्स से बच्चे खुश</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">अभी तक कई रिपोर्ट और स्टडी सामने आ चुकी हैं जिसमें सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से युवाओं को हो रही परेशानी के बारे में बताया गया है. इस बीच,एक हालिया राष्ट्रीय सर्वेक्षण, जिसमें भारत में किए गए लगभग 50,000 माता-पिता के साक्षात्कार शामिल थे, में पाया गया कि 9 से 17 वर्ष की आयु के 10 में से 6 युवा प्रतिदिन 3 घंटे से अधिक सोशल मीडिया या गेमिंग प्लेटफॉर्म पर बिताते हैं. महाराष्ट्र राज्य के 17 प्रतिशत उत्तरदाता माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे हर दिन 6 घंटे से अधिक समय तक ऑनलाइन रहते हैं. इसी तरह की बात पूरे भारत में 22 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताई. इस सर्वे में ये बात भी निकलकर सामने आई कि सोशल मीडिया या गेमिंग पर समय बिताने के बाद बच्चे खुश महसूस करते हैं. करीब 10% माता-पिता ने ऐसा कहा है. &nbsp;&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">इस स्टडी से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया सकारात्मक प्रभावों की तुलना में अधिक नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है और माता-पिता को अब सचेत होने की जरूरत है. अगर बचपन से ही स्मार्टफोन की आदत बच्चों में न डाली जाए तो इससे उनके बाद के जीवन में अच्छा प्रभाव पड़ेगा और युवा पीढ़ी स्वस्थ भी रहेगी.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>हर दिन 3 घंटे यूज करने से हो रही ये सब परेशनी&nbsp;</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">ये स्टडी अमेरिकी सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति की 2022 की एक और रिपोर्ट से मेल खाती है जिसमें ये कहा गया है कि हर दिन 3 घंटे मोबाइल यूज करने से बच्चों को डिप्रेशन और एंजायटी जैसी स्वास्थ परेशानियां हो रही हैं. इस रिपोर्ट में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को "नुकसान का गहरा खतरा" बताया गया है और परिवारों से सीमाएं तय करने और सरकारों से उपयोग के लिए सख्त मानक बनाने के लिए आग्रह किया गया है.</p>
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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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