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Google Maps में आया वॉट्सऐप जैसा ये फीचर, ट्रेवल करते हुए होगा ये फायदा

Google Maps live location sharing: गूगल मैप्स में वॉट्सऐप की तरह रियल टाइम लोकेशन शेयर करने का फीचर कंपनी ने जोड़ा है. अब आपको दोस्तों या परिवार के साथ कहीं ट्रेवल वक्त दूसरे ऐप्स से लाइव लोकेशन शेयर करने की जरूरत नहीं है. आप ये काम गूगल मैप्स के जरिए आसानी से कितने भी देर के लिए कर सकते हैं. इसमें आपको लोकेशन शेयर करते वक्त टाइम सेट करने का भी ऑप्शन मिलता है. टाइम लिमिट पूरा होने के बाद अपने आप लोकेशन शेयरिंग खत्म हो जाती है. आइये जानते हैं कैसे आप अपनों के साथ अपनी लाइव लोकेशन शेयर कर पाएंगे.

ऐसे गूगल मैप्स से शेयर करें लाइव लोकेशन 

गूगल मैप्स पर लोकेशन करने के लिए आपको एक दूसरे को मैप्स के अंदर फ्रेंड के रूप में लिस्ट करना होगा या आप इसके बिना भी अपने गूगल कॉन्टेक्ट्स के बीच लोकेशन शेयर कर सकते हैं. लोकेशन शेयर करने के लिए आपको मैप्स के अंदर आकर टॉप राइट में क्लिक करना है और ‘शेयर लोकेशन’ पर क्लिक करना है. यहां से आप लाइव लोकेशन और इसकी टाइमिंग को सेट कर अपने गूगल कॉन्टेक्ट्स के साथ इसे शेयर कर सकते हैं.

गूगल, मैप्स में अपडेट लाने के साथ-साथ कंपनी यूजर्स की प्राइवेसी को भी बेहतर बनाने पर काम कर रही है. अभी तक कंपनी मैप्स की इनफार्मेशन को क्लाउड में स्टोर करके रखती थी लेकिन अब आपके पास इसे फोन में स्टोर करने का ऑप्शन होगा जिससे आपकी पर्सनल इनफार्मेशन सेफ रहेगी.  

वॉट्सऐप में भी कंपनी इसी तरह का फीचर ऑफर करती है जहां आप अपनी लाइव लोकेशन को शेयर कर सकते हैं. हालांकि यहां आपको केवल 8 घंटे का ही ऑप्शन मिलता है. इसके बाद अपने आप शेयरिंग बंद हो जाती है. लेकिन गूगल मैप्स के साथ ऐसा नहीं है. यहां आप जितने देर चाहें उतने देर तक आपस में लोगों के साथ कनेक्टेड रह सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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