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सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स के चक्कर में 22 प्रतिशत कस्टमर्स ने खरीदे फर्जी सामान, लेटेस्ट स्टडी

सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर से प्रभावित होकर आप भी अगर करते हैं ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) को आपको संभल जाने की जरूरत है. गुरुवार को जारी एक लेटेस्ट स्टडी रिपोर्ट में सामने आया है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय 16-60 साल की उम्र के लगभग 22 प्रतिशत कस्टमर्स ने प्रभावशाली लोगों द्वारा समर्थित नकली सामान खरीदा है. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि धोखेबाज अपने फर्जी सामानों को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स की  पॉपुलैरिटी और भरोसे का फायदा उठा रहे हैं, जिससे कस्टमर्स के लिए नकली प्रोडक्ट को सर्च करना और खरीदना पहले से ज्यादा आसान हो गया है.

ग्राहकों के अपने मूल्यांकन बदल गए

खबर के मुताबिक, पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में साइबर अपराध और आर्थिक अपराध केंद्र के निदेशक प्रोफेसर मार्क बटन ने कहा कि सोशल कॉमर्स मार्केटिंग के लिए नई लिमिट है, और सोशल मीडिया प्रभावित करने वाले नए रॉयल्टी हैं. इस बाजार में कस्टमर्स अक्सर थर्ड पार्टी की दूरस्थ सिफारिशों पर भरोसा करते हैं. सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स (social media influencers) ने शॉपिंग रिस्क के बारे में ग्राहकों के अपने मूल्यांकन को तेजी से बदल दिया है.

युवा कस्टमर्स लपेटे में आते हैं ज्यादा

शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि युवा कस्टमर्स के इन प्रभावशाली लोगों (social media influencers) की प्रेरक रणनीति का शिकार होने की सबसे ज्यादा संभावना है. स्टडी के नतीजे बताते हैं कि 16-33 साल की आयु के युवा वयस्कों में 34-60 वर्ष की आयु के कस्टमर्स की तुलना में समर्थित नकली सामान खरीदने की संभावना तीन गुना ज्यादा है. स्टडी में सभी कस्टमर्स में 70 प्रतिशत पुरुष हैं.

प्रोडक्ट्स की जांच करने का आग्रह

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड क्रिमिनल जस्टिस के डॉ. डेविड शेफर्ड ने कहा कि हम हर किसी से उन प्रोडक्ट्स की जांच करने का आग्रह करते हैं जिनका वे समर्थन करते हैं. उनकी सलाह है कि सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर्स (social media influencers) से मूर्ख मत बनो. स्टडी में बताया गया कि समर्थित नकली वस्तुओं के खरीदार दोस्तों और सोशल मीडिया के प्रभाव के प्रति दोगुने संवेदनशील होते हैं, जो उनकी खरीदारी (Online Shopping) ऑप्शन पर एक मजबूत असर का संकेत है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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