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कंगना रनौत के इस दावे के बाद बॉलीवुड में सच्ची दोस्ती मौजूद नहीं, आशा पारेख ने दिया ये जवाब

Kangana Ranaut: हाल ही में एक बातचीत के दौरान आशा पारेख ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में खुद को लेकर खुलकर बात की. एक इंटरव्यू में जब एक्ट्रेस से कंगना रनौत के दावों के बारे में भी पूछा गया कि बॉलीवुड में सच में दोस्ती की कमी है. तो आशा ने बताया कि कैसे वह अभी भी वहीदा रहमान और हेलेन के साथ मजबूत दोस्ती बनाए रखती हैं.

कंगना रनौत के इस दावे के बाद बॉलीवुड में सच्ची दोस्ती मौजूद नहीं

आशा पारेख से बॉलीवुड में नकली दोस्ती के बारे में कंगना के दावे पर अपनी राय शेयर करने के लिए कहा गया. इसके जवाब में आशा ने कहा, ‘क्या आपने देखा है कि मैं, वहीदा जी और हेलेन जी कितने करीब हैं? हमारी गहरी दोस्ती है’.

 


कंगना के बयान पर आशा पारेख ने जानें क्या कहा

आगे आशा ने कहा कि ‘ये कंगना की मर्जी है कि वो किसी से दोस्ती करना चाहती हैं या नहीं. यह पूछे जाने पर कि क्या बॉलीवुड में दोस्ती मौजूद है, इस पर एक्ट्रेस ने कहा, ‘अब वो कंगना जी से पूछिए ना, कि क्या नहीं है. आपने ऐसा क्यों नहीं पूछा, कि आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं. यह हर किसी की निजी पसंद है कि वे किसी से दोस्ती करना चाहते हैं या नहीं’.

बता दें कि पिछले साल एक इंटरव्यू में, कंगना से बॉलीवुड के तीन लोगों के नाम बताने के लिए कहा गया था, जिन्हें वह अपने घर पर रविवार के नाश्ते के लिए आमंत्रित करना चाहेंगी. जिस पर एक्ट्रेस ने कहा था कि बॉलीवुड में लोगों में उनके दोस्त बनने की क्वालिटी नहीं है.

 


‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर एक्ट्रेस ने लगाई फटकार

फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर भी एक्ट्रेस ने अपनी राय रखी. उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि इस मूवी ने 400 करोड़ की कमाई की लेकिन कश्मीरी पंडितों को कितना पैसा दिया? आशा पारेख ने कहा कि वह पूछना चाहती हैं कि ‘प्रोड्यूसर ने 400 करोड़ रुपये कमाए लेकिन हिंदू कश्मीरी को कितने पैसे दिए. 

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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