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बॉबी ने ‘एनिमल’ में अपने रोल को बताया रोमांटिक, कहा- ‘मैंने खुद को फिल्म के विलेन…’

Bobby Deol Role in Animal : बॉलीवुड इंडस्ट्री के एक्टर रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ (Animal) बीते 1 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और ये बॉक्स ऑफिस पर बंपर कमाई कर रही है। इस फिल्म में रणबीर कपूर के अलावा, रश्मिका मंदाना, अनिल कपूर, बॉबी देओल (Bobby Deol) और तृप्ति डिमरी भी महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आ रहे हैं। फिल्म ‘एनिमल’ में बॉबी देओल ने विलेन का रोल किया है। फिल्म में रणबीर कपूर और बॉबी देओल की भिड़ंत ने लोगों का ध्यान खींचा है। इसी बीच बॉबी देओल ने एक इंटरव्यू में बताया है कि फिल्म में उनका रोल विलेन का नहीं है। आइए जानते हैं कि बॉबी देओल ने फिल्म ‘एनिमल’ को लेकर क्या कहा है। Also Read – ‘एनिमल’ की रिलीज के बाद बदली तृप्ति डिमरी की किस्मत, रातों-रात बढ़े 2M फॉलोअर्स

फिल्म ‘एनिमल’ में बॉबी देओल ने खींचा ध्यान

बॉबी देओल ने फिल्म ‘एनिमल’ में अपने किरदार अबरार हक से लोगों का ध्यान खींचा है। फिल्म में उनका रोल भले ही छोटा है लेकिन लोगों पर असर कर गए। फिल्म ‘एनिमल’ में बॉबी देओल को विलेन के तौर पर दिखाया गया है। बॉबी देओल ने एक इंटरव्यू में बताया है,’मैंने कभी भी खुद को फिल्म के विलेन के रूप में नहीं देखा क्योंकि अबरार ने अपनी आंखों के सामने अपने दादा को खो दिया जो खुद को जला लेता है और वह सदमा उसकी आवाज छीन लेता है। इसलिए वह कसम खाता है कि वह अपने दादा की मौत का बदला लेगा और वह एक बहुत पारिवारिक व्यक्ति है। वह रोमांटिक है।’ Also Read – Animal WW Box Office Collection: ‘एनिमल’ ने 8वें दिन पार किया 600 करोड़ का आंकड़ा

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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