टैकनोलजी

Apple दुनिया की पहली 3 ट्रिलियन डॉलर वाली कंपनी बनी, शेयर में 2.31 प्रतिशत बढ़ा

टेक दिग्गज एप्पल (Apple) 3 ट्रिलियन डॉलर के उल्लेखनीय बाजार मूल्य के साथ एक कारोबारी दिन बंद करने वाली पहली सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी बन गई है. शुक्रवार को कंपनी के शेयर में 2.31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. इस साल इसके स्टॉक में लगभग 46% की बढ़ोतरी हुई है. गिजमोचाइना की खबर के मुताबिक, Apple का मार्केट कैप जनवरी 2022 में अस्थायी रूप से $3 ट्रिलियन को पार कर गया था, लेकिन उस स्तर पर बंद होने में विफल रहा.

iPhone की बड़ी भूमिका

साल 2023 में एप्पल (Apple) की उल्लेखनीय स्टॉक मार्केट सफलता के पीछे प्रेरक शक्ति उसका प्रमुख उत्पाद, iPhone रहा है.  2 बिलियन यूनिट से ज्यादा की टोटल की बिक्री के साथ, iPhone कंपनी के वार्षिक राजस्व में एक प्रमुख योगदानकर्ता बना हुआ है, जो इसका लगभग आधा हिस्सा है. स्मार्टफोन बाज़ार में Apple का प्रभुत्व अमेरिका और चीन दोनों में स्पष्ट है. अमेरिका में, सभी टॉप पांच सबसे ज्यादा बिकने वाले स्मार्टफोन iPhone के हैं, जिनकी बाजार हिस्सेदारी 50% से ज्यादा है. इसी तरह, चीनी बाजार में, iPhone को एक महत्वपूर्ण बढ़त हासिल है, जिसने टॉप पांच स्थानों में से चार पर कब्जा कर लिया है.

iPhone का राजस्व 

हाल की बाज़ार चुनौतियों के बावजूद, Apple ने अपना लचीलापन बनाए रखा है. वित्तीय वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में, iPhone का राजस्व $51.334 बिलियन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के प्रदर्शन को पार कर गया और एक तिमाही के लिए एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया. यह Apple को उसके कॉम्पिटीटर, जैसे Microsoft, Google, Nvidia और Meta से अलग करता है, जिन्होंने AI को अपनाया है. अल्फाबेट, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़ॅन और एनवीडिया सहित चार अन्य अमेरिकी कंपनियों का मूल्यांकन फिलहाल $1 ट्रिलियन से ज्यादा है.

एप्पल ने हाल ही में बहुप्रतीक्षित एप्पल विज़न प्रो लॉन्च किया है. यह हेडसेट अगले साल $3,499 में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा. इस रिलीज़ के साथ Apple का टारगेट AR इंडस्ट्री में क्रांति लाना है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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