टैकनोलजी

AI कैमरों की मदद से हाथ के हाथ सड़को पर वसूला जा रहा चालान,गाड़ी से चलने वाले जरूर जान लें ये बात

Penalty through Fastags: अगर आप अपनी गाड़ी से ट्रेवल करते हैं तो ये खबर अंत तक जरूर पढ़े. दरअसल, अब AI कैमरों की मदद से हाईवे पर चालान हाथ के हाथ वसूला जा रहा है. अगर आप नियम तोड़ते हैं तो आपको तुरंत इसका भुगतान करना होगा, पहले की तरह हफ्ते भर या महीनो का समय पैसे भरने के लिए अब नहीं मिलेगा. दरअसल, बेंगलुरु पुलिस की ओर से बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे पर कुछ AI कैमरों को इनस्टॉल किया है जो गाड़ियों की ओवर स्पीडिंग, सीट बेल्ट न पहनने, गाड़ी चलाते वक्त फोन पर बात करने आदि तमाम गतिविधयों को एकदम कैच कर लेते हैं और अगले टॉल पर इसकी जानकारी हाथ के हाथ भेज देते हैं. यदि किसी व्यक्ति ने नियम तोडा होता है तो रोड टैक्स के साथ Fastag से हाथ के हाथ चालान भी कट जाता है.

प्राइवेसी के लिहाज से ये सिस्टम वीक

फिलहाल ये प्रोजेक्ट इनिशियल स्टेज में है और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( एनएचएआई ) इस प्रोजेक्ट को लागू करने पर विचार कर रहा है. यदि ये लागू होता है तो सरकार और लोगों का काफी समय बचेगा. AI कैमरों की मदद से तुरंत चालान कट जाएगा और ट्रैफिक की समस्या या जगह-जगह पर चेक पॉइंट लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. हालांकि इस प्रोजेक्ट के साथ एक कंसर्न ये है कि इससे लोगों की प्राइवेसी में खलल पड़ सकता है क्योकि Fastag से सीधे पैसा कट जाएगा और NHAI के पास लोगों की बैंक डिटेल्स रहेंगी.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अलोक कुमार ने इस प्रोजेक्ट के बारे में कहा कि फिलहाल AI कैमरों की मदद से कटे चालान का पैसा सीधे NHAI के अकाउंट में जाता है. हमारा मकसद इसे सरकारी खजाने यानि गवर्नमेंट अकाउंट में ट्रांसफर करना है ताकि इसे दूसरे कामों में लगाया जा सके और लोगों की पर्सनल डिटेल्स भी सेफ रहें. इस प्रोजेक्ट को बड़े लेवल पर शुरू करने से पहले सरकार को लोगों की प्राइवेसी के लिए ठोस कदम और एक सिस्टम तैयार करना होगा जिसके बाद ही इसे शुरू किया जा सकता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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