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संजय दत्त ने व्हिस्की ब्रांड में किया था इंवेस्ट! चार महीने में एक्टर ने छापे करोड़ों

Sanjay Dutt Whisky Brand: बॉलीवुड के एक्टर्स और एक्ट्रेसेस की इनकम का मेन सोर्स भले ही एक्टिंग हों, लेकिन वे कई दूसरी चीजों से भी कमाई करते हैं. बी-टाउन के सेलेब्स फिल्मों के अलावा एड्स और प्रोमोशन के जरिए तो पैसा कमाते ही हैं, साथ ही वे अपनी कमाई को अलग-अलग जगहों पर इंवेस्ट भी करते हैं ताकि बुरे वक्त में वे उनके काम आ सके.

संजय दत्त हाल ही में साउथ सुपरस्टार विजय थलापति की फिल्म ‘लियो’ में दिखाई दिए थे. लेकिन इससे पहले उनकी लाइफ में एक दौर ऐसा भी रहा जब वे लंबे समय तक पर्दे से गायब रहे. वहीं पिछले साल एक्टर ने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा एक व्हिस्की ब्रांड में इंवेस्ट किया था. खास बात ये है कि इस इंवेस्टमेंट का उन्हें जबरदस्त फायदा मिला है.

4 महीने में कमा डाले करोड़ों
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो संजय दत्त ने पिछले साल स्कॉच व्हिस्की ब्रांड लॉन्च किया था जिसका नाम द ग्लेनवॉक है. इसे कार्टेल एंड ब्रदर्स ने लॉन्च किया था.  इस ब्रांड की लॉन्चिंग के चंद महीनों में ही इसकी 1,20,000 बोतलें बिक गईं. जिसकी वजह से एक्टर ने चार महीने में 19. 20 करोड़ रुपए कमा लिए हैं. इस ब्रांड की सबसे ज्यादा बोतलों की बिक्री मुंबई, पुणे और ठाणे में हुई है. अब कंपनी का टारगेट अगले फाइनेंशियल ईयर तक 2.8 मिलियन बोतलों को बेचना है.

ये सितारे भी करते हैं व्हिस्की ब्रांड में इंवेस्ट
बता दें कि सिर्फ संजय दत्त ही नहीं बल्कि कई दूसरे स्टार्स भी व्हिस्की ब्रांड में इंवेस्टकर चुके हैं. प्रिंयका चोपड़ा के पति निक जोनस ने साल 2019 में एक अल्ट्रा प्रीमियम टकीला, विला वन लॉन्च किया था. इसके अलावा डैनी डेंजोगप्पा भी एक बीयर कंपनी के मालिक हैं. इसके अलावा ड्वेन जॉनसन, केंडल जेनर और ड्रेक भी व्हिस्की कंपनी में इंवेस्टमेंट कर चुके हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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