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ChatGPT के हेड भी AI के जोखिमों से परेशान? रेगुलेट करने के लिए की ग्लोबल एजेंसी की मांग

Artificial Intelligence : चैटजीपीटी बनाने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी के हेड एआई को कंट्रोल करने के लिए सरकार की इन्वॉल्वमेंट चाहते हैं. सैम ऑल्टमैन ने कांग्रेस को बताया कि तेजी से बढ़ रहे पावरफुल एआई सिस्टम के जोखिमों को कम करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप जरूरी है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे यह तकनीक आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इस बात की चिंता बढ़ रही है कि AI कैसे लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है. एआई पर कंट्रोल करने के लिए 

ऑल्टमैन ने एक अमेरिकी या ग्लोबल एजेंसी के गठन का प्रस्ताव रखा जो सभी पावरफुल एआई सिस्टम को लाइसेंस देगी. सैम ने कहा कि इस एजेंसी के पास उस लाइसेंस को वापस लेने का अधिकार भी होना चाहिए.

चैटजीपीटी ने बहुत कुछ बदल दिया

सैन फ्रांसिस्को स्थित स्टार्टअप OpenAI ने पिछले साल के अंत में चैटजीपीटी जारी करने के बाद लोगों का ध्यान आकर्षित किया. यह एक फ्री चैटबॉट टूल है, जो मानव-जैसी प्रतिक्रियाओं के साथ सवालों के जवाब देता है. चैटजीपीटी को लेकर चिंता तब शुरू हुई, जब पता चला कि यह AI चैटबोट छात्रों का होम वर्क कर रहा है. बस इसके बाद, लोगों को गुमराह करने, झूठ फैलाने और कुछ नौकरियों को खत्म करने के लिए ChatGPT और AI को लेकर लगातार लोगों के बीच चिंता बनी हुई है.

ऑल्टमैन और अन्य टेक सीईओ पहुंचे थे व्हाइट हाउस 

इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि एआई को लाइसेंस देने वाली कोई एजेंसी बनाई जाएगी या नहीं. एआई को लेकर सामाजिक चिंताओं ने इस महीने की शुरुआत में ऑल्टमैन और अन्य टेक सीईओ को व्हाइट हाउस में लाया था. यहां टेक सीईओ ने हानिकारक एआई प्रोडक्ट पर नकेल कसने का वादा किया था. बता दें कि सैम ऑल्टमैन ने इस और भी इशारा किया था कि अगर एआई का गलत इस्तेमाल किया जाए तो यह काफी खतरनाक हो सकता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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