टैकनोलजी

मोबाइल (Mobile) को हिंदी में क्या बोलते है? बेहद कम लोग जानते हैं जवाब 

हम सभी कम से कम 8 से 10 बार एक दिन में मोबाइल फोन शब्द जरूर बोलते हैं. कभी आप घर में पूछते होंगे कि मेरा मोबाइल फोन कहा रखा है, तो कभी ऑफिस में या फिर अन्य कामों के चलते भी आप मोबाइल फोन शब्द का इस्तेमाल जरूर करते होंगे. ‘मोबाइल फोन’ एक अंग्रेजी वर्ड है. आज इस लेख में हम आपको मोबाइल फोन का हिंदी बताएंगे. यानि इसे हिंदी में क्या कहा या बोला जाता है. हमें यकीन है कि बेहद कम लोग ऐसे होंगे जिन्हें इसका मतलब पता होगा. अगर आपको इसका मतलब पता नहीं है तो इस लेख में आगे जानिए और दूसरों को भी इस लेख को शेयर करें ताकि जिस शब्द को हम दिनभर में कई बार बोलते हैं उसका मतलब लोगों को पता हो.

हिंदी में ये कहते है 

Mobile या मोबाइल फोन को हिंदी में ‘सचल दूरभाष यंत्र कहा जाता है. सचल इसलिए कहा जाता है क्योकि इसे आप आसानी से कहीं भी कैरी कर जा सकते हैं. पहले की तरह ये डिवाइस एक जगह पर फिक्स नहीं है. दूरभाष यंत्र यानि टेलीफोन जिसके जरिए आप कई हजार किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति से भी बात कर सकते हैं.

भारत में सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं बजट स्मार्टफोन 

भारत एक बड़ा स्मार्टफोन मार्केट है. हर साल सैकड़ों फोन लॉन्च होते हैं. भारतीय मार्केट में विशेषकर बजट स्मार्टफोन ज्यादा पसंद किए जाते हैं जिनकी कीमत 15 से 20,000 रुपये के बीच रहती है. शाओमी, MI, पोको, आदि इस प्राइस ब्रैकेट में ज्यादा फोन लॉन्च करते हैं. हाल ही में शाओमी ने Redmi 12 सीरज लॉन्च की थी. इस सीरीज के लॉन्च होते ही कंपनी को एक दिन में 3 लाख से ज्यादा आर्डर मिले. शाओमी ने Redmi 12 5G को मात्र 11,999 रुपये में लॉन्च किया था. इसमें 5000 एमएएच की बैटरी, 50MP का कैमरा और Snapdragon 4 Gen 2 का सपोर्ट कंपनी ने दिया है.

कहने का मतलब कंपनी ने कम से कम कीमत में लोगों को 5G फोन बेसिक स्पेक्स के साथ दे दिया है जो उनकी सभी जरूरतों को एक तरह से पूरी करता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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