टैकनोलजी

Google pay से आप ले सकते हैं 15,000 रुपयों तक का लोन, रिपेमेंट कॉस्ट एक बर्गर से भी कम 

गूगल मेड फॉर इंडिया के 9वें एडिशन में कंपनी ने छोटी व्यापारियों के लिए एक बड़ी घोषणा की है. दरअसल, अब छोटे मर्चेंट गूगल पे एप के जरिए 15,000 रुपए तक का लोन आसानी से ले सकते हैं. इसके लिए कंपनी ने डीएमआई फाइनेंस के साथ पार्टनरशिप की है. कंपनी ने एक एक्स पोस्ट में लिखा कि छोटे व्यापारियों के साथ हमारे एक्सपीरियंस ने कंपनी को ये सिखाया है कि उन्हें अक्सर छोटे लोन और आसान रीपेमेंट विकल्पों की जरूरत होती है. कंपनी इस जरूरत को पूरा करने के लिए डीएमआई फाइनेंस के साथ मिलकर सैशे लोन की शुरुआत कर रही है.

ये सैशे लोन क्या होता है?

जिन लोगों को नहीं पता कि सैशे लोन क्या होता है तो दरअसल, ये एक तरह के छोटे लोन होते हैं जो आपको कम टेन्योर के लिए दिए जाते हैं. आमतौर पर इस तरह के लोन प्री-अप्रूव्ड होते हैं और ये आपको आसानी से मिल जाते हैं. ये लोन 10,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक होते हैं और इनका टेन्योर 7 दिन से 12 महीने का होता है. इस तरह के लोन को लेने के लिए या तो आपको कोई App डाउनलोड करनी पड़ती है या फिर आप ऑनलाइन भी ऐप्लिकेशन भर सकते हैं. कुल मिलाकर इसमें अन्य लोन की तरह ज्यादा ताम-झाम  की जरूरत नहीं पड़ती है.

111 रुपए की होगी रीपेमेंट

अच्छी बात ये है कि इस तरह के सैशे लोन की रीपेमेंट आप 111 रुपए प्रति महीने से कर सकते हैं. यानी बिना आपके कंधों पर ज्यादा बोझ पड़े आप जरूरत के वक्त इस तरह के छोटे लोन गूगल पे से ले सकते हैं.

किन्हें मिलेगा लोन?

वर्तमान में कंपनी ने सैशे लोन की सुविधा टियर 2 शहरों में शुरू की है. ऐसे लोग जिनकी मंथली इनकम 30,000 रुपये है वे आसानी से सैशे लोन को हासिल कर सकते हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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