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स्मार्टवॉच या नॉर्मलवॉच किसे खरीदें? यहां बताए गए 4 फायदे और 4 नुकसान फैसला लेने में करेंगे मदद

Smartwatch Buying Tips : जब आप कोई स्मार्टवॉच खरीदते हैं तो आपको कई फायदे होते हैं. यह आपकी दैनिक गतिविधियों (Daily Activities) को आसान बनाती है. इससे आपके कई काम चुटकियों में हो जाते हैं. दूसरी ओर, एक नॉर्मल वॉच सिर्फ समय बताने का काम करती है, जबकि एक स्मार्टवॉच समय बताने के साथ -साथ कई अन्य सुविधाएं भी देती है. स्मार्टवॉच होने पर आपको कई कामों के लिए तो स्मार्टफोन की जरूरत भी नहीं पड़ती है. यहां हम स्मार्टवॉच के कुछ फायदे और नुकसान बता रहे हैं. 

स्मार्टवॉच के कुछ फायदे

  1. फिटनेस ट्रैकिंग: स्मार्टवॉच आपके एक्सरसाइज की एक्टिविटी और स्वास्थ्य से संबंधित डेटा को ट्रैक करती है. यह आपको फिट रहने में मदद करती है और आपको स्वस्थ रहने के लिए मोटिवेशन भी देती है.
  2. कम्युनिकेशन : स्मार्टवॉच आपको अपने स्मार्टफोन के जरिए से बातचीत करने की सुविधा देती है, जैसे कि कॉल, मैसेज, ईमेल आदि
  3. नेविगेशन: स्मार्टवॉच आपको नेविगेशन कर अपनी मंज़िल तक पहुंचने में मदद करती है. यह आपको आपकी यात्रा के दौरान काफी काम आ सकती है.
  4. नोटिफिकेशन : स्मार्टवॉच आपके हाथ में होने से आपको बार -बार स्मार्टफोन निकालकर अपडेट देखने की जरूरत नहीं है. इसमें आपको सभी जरूरी नोटिफिकेशन दिख जाते हैं. 

स्मार्टवॉच के कुछ नुकसान 

  1. बैटरी लाइफ: स्मार्टवॉच की बैटरी लाइफ अधिक होने के बावजूद भी इसकी बैटरी जल्दी से खत्म हो जाने का खतरा बना रहता है.
  2. एक्सीडेंट: स्मार्टवॉच में लगी स्क्रीन का कच्चा होना और फिट न होने की वजह से यह आसानी से टूट जाती है या कुछ खराब हो जाता है.
  3. सिक्योरिटी: स्मार्टवॉच के हैक होने का खतरा बना रहता है. 
  4. वजन : कुछ स्मार्टवॉच भारी हो सकती हैं, जिससे दिनभर उन्हें पहनने में असुविधा आ सकती है.

हमनें इस खबर में स्मार्टवॉच के फायदे और नुकसान दोनों बता दिए हैं. अगर स्मार्टवॉच के फीचर्स आपको आकर्षित करते हैं तो एक स्मार्टवॉच खरीदना आपके लिए सही होगा. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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