टैकनोलजी

Zomato ऐप में भी आया AI सपोर्ट, अब चैटबॉट बताएगा कि आपको कब, कैसे और क्या खाना चाहिए 

Zomato AI: फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो ने ‘ज़ोमैटो एआई’ पेश किया है. ये एक इंटरैक्टिव चैटबॉट है जो आपके भोजन ऑर्डर करने के एक्सपीरियंस को ज्यादा पर्सनलाइज्ड और सुविधाजनक बनाता है. एक ब्लॉगपोस्ट में कंपनी ने इस नए फीचर को “बुद्धिमान, सहज और इंटरैक्टिव” बताया है जो अपने ग्राहकों को ऐसे फ़ूड ऑप्शन चुनने में मदद करता है जो उनकी वर्तमान भूख, डाइटरी प्रेफरेंस और यहां तक ​​कि मूड के हिसाब से बेस्ट है.

बता दें, ‘ज़ोमैटो एआई’ ऐप के अंदर ही इंटिग्रेटे है. इसे यूज करने के लिए आपको ऐप के लेटेस्ट वर्जन को इंस्टाल करना होगा. फिलहाल ज़ोमैटो गोल्ड क्लाइंट्स के पास ये फीचर उपलब्ध है और वे इसके जरिए फ़ूड आर्डर करने में सहायता ले सकते हैं.

क्या कर सकता है जोमैटो AI?

जोमैटो AI से आप न सिर्फ खाना आर्डर कर सकते हैं बल्कि इसके जरिए आप ये भी जान सकते हैं कि मौसम, मूड और डाइट के हिसाब से आपके लिए बेस्ट क्या रहेगा. जैसे आप ये जान सकता हैं कि क्या आप उच्च प्रोटीन, कम कार्ब वाले भोजन का आनंद ले सकते हैं या नहीं? इसके अलावा आप ये भी चैटबॉट से पूछ सकते हैं कि हैंगओवर होने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. 

साथ ही ऐप में आपको एक विजेट भी मिलता है जिसमें आपको आपके सभी पसंदीदा व्यंजन परोसने वाले रेस्तरां की सूची मिलती है. इसकी मदद से आप कम समय में अपना मनपसंद खाना आर्डर कर सकते हैं. यदि आपको समझ नहीं आ रहा कि क्या खाना मंगाना चाहिए तो आप जोमैटो AI की मदद ले सकते हैं. 

ऐसे समय में जहां सुविधा महत्वपूर्ण है, ज़ोमैटो एआई एक मूल्यवान उपकरण के रूप में उभरा है जो आपके फ़ूड ऑर्डर करने के अनुभव को बढ़ाने और ये सुनिश्चित करने का वादा करता है कि आपकी खाने से संबंधी सभी इच्छाएं हमेशा पूरी हों. 

यह भी पढ़ें:

Honor 90 की खासियत लॉन्च से पहले यहां जान लीजिए, इतनी हो सकती है कीमत

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button