टैकनोलजी

Twitter: पहले की तरह बिना अकाउंट के आप फिर देख सकते हैं Tweets, लेकिन… 

Twitter Update: एलन मस्क ने कुछ समय पहले ट्विटर को ओपन प्लेटफार्म से हटा दिया था. इसके बाद से बिना अकाउंट के कोई भी व्यक्ति ट्विटर का कंटेंट नहीं देख सकता है. हालांकि एकबार फिर मस्क ने  ट्विटर को कुछ शर्तो के साथ ओपन कर दिया है. यानि आप बिना अकाउंट के भी ट्विटर का कंटेंट देख सकते हैं. इस बार दिक्कत ये है कि आप बिना अकाउंट के केवल एक ही ट्वीट को देख पाएंगे जो आपको किसी वेबसाइट, लिंक या दूसरे माध्यम से मिला होगा. यानि अगर किसी ट्वीट में एक से ज्यादा ट्वीट्स एड किये गए हैं तो आप ये नहीं देख पाएंगे. इन्हें देखने के लिए आपका ट्विटर अकाउंट का होना जरुरी है.

इसके अलावा आप यूजर की प्रोफाइल भी बिना लॉगिन के नहीं देख पाएंगे, न ही कुछ सर्च कर पाएंगे. इस विषय में मस्क या ट्विटर की ओर से कोई आधिकारिक स्टेटमेंट जारी नहीं किया है. हमने जब व्यक्तिगत रूप से ये चेक किया तो हम ट्वीट्स को बिना लॉगिन के देख पा रहे थे. बता दें, मस्क ने जब प्लेटफार्म पर लिमिटेशन लगाई थी तो उन्होंने इसे टेम्परेरी बताया था. यानि ये परमानेंट नहीं था और कभी भी इसे हटाया जा सकता है.

इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि बिना अकाउंट के हमे ABP के नए ट्वीट्स नहीं दिखे रहे हैं. ये तभी दिखेंगे जब हम अकाउंट लॉगिन करें. 

ट्विटर पर लगाई रीड लिमिट 

एलन मस्क ने ट्विटर पर रीड लिमिट लगा दी है. इसके बाद से यूजर्स एक दिन में तय किए गए ट्वीट्स ही देख सकते हैं. ब्लू टिक यूजर्स एक दिन में 10,000 ट्वीट्स, अनवेरिफाइड यूजर्स 1,000 और न्यूली एड अनवेरिफाइड यूजर्स एक दिन में केवल 500 ट्वीट्स ही पढ़ सकते हैं. लिमिट पूरी होने पर आप ट्विटर को एक्सेस नहीं कर पाएंगे और कुछ समय के लिए लॉक्ड हो जाएंगे. यानि आपको नए ट्वीट्स नहीं दिखेंगे. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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