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रणबीर कपूर ने फिल्म ‘एनिमल’ के लिए क्यों घटाई अपनी फीस? सामने आई ये बड़ी वजह

Ranbir Kapoor Cut His Fees For Animal: रणबीर कपूर के लीड रोल वाली ‘एनिमल’ साल की मोस्ट अवेटेड फिल्म है. हाल ही में फिल्म का दमदार टीजर रिलीज किया गया था जिसे देखकर लोगों के होश उड़ गए थे. ‘एनिमल’ के टीजर को ऑडियंस का ज़बरदस्त रिस्पॉन्स मिला है.  वहीं खबर आ रही है कि ‘एनिमल’ के ग्रैड विजन की वजह से और प्रोडक्शन में देरी के कारण, फिल्म की लागत काफी बढ़ गई है.  ऐसे में रणबीर कपूर ने इसका खामियाजा अपने ऊपर ले लिया है.

रणबीर कपूर ने ‘एनिमल’ के लिए अपनी फीस में की 50 फीसदी कटौती
रणबीर कपूर का मौजूदा मार्केट वैल्टू लगभग 70 करोड़ रुपये प्रति फिल्म है. एक्टर अपनी फिल्म प्रोजेक्ट में काफी इन्वॉल्व रहते हैं. वह न केवल फिल्म की क्रिएटिव प्रक्रिया में बल्कि इसके लॉजिस्टिक्स में भी शामिल रहते हैं. वहीं पिंकविला की रिपोर्ट के मुताबिक रणबीर कपूर ने अपनी अपकमिंग फिल्म ‘एनिमल’ के मेकर्स भूषण कुमार और संदीप रेड्डी वांगा को सपोर्ट करने के लिए अपनी एक्टिंग फीस में 50 फीसदी से ज्यादा की कटौती की है. रिपोर्ट के मुताबिक, रणबीर कपूर एनिमल के लिए 30 – 35 करोड़ रुपये अपफ्रंट फीस चार्ज कर रहे हैं. एक्टर द्वारा कम की गई फीस की राशि उनके गैंगस्टर-ड्रामा के प्रोडक्शन वैल्यू को बेहतर बनाने पर खर्च की गई है. अगर फिल्म पर पैसा बनता है तो रणबीर कपूर का मुनाफे में हिस्सा होगा. जिसकी इस समय काफी संभावना दिख रही है.

‘एनिमल’ की कहानी
‘एनिमल’ एक परेशान बाप-बेटे के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है जो अंडरवर्ल्ड के खतरनाक बैकग्राउंड पर बेस्ड है. इस वजह से फिल्म का हीरो साइकोपैथ में बदल जाता है. फिल्म में एक बेटे का अपने पिता के प्रति जुनूनी प्यार भी दिखाया गया है. ‘एनिमल’ को संदीप रेड्डी वांगा द्वारा डायरेक्ट किया गया है. फिल्म में रणबीर कपूर के अलावा अनिल कपूर, बॉबी देओल और रश्मिका मंदाना ने अहम रोल निभाया है. ये फिल्म 1 दिसंबर, 2023 को कई भाषाओं में सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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