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राजकुमार राव के नाम हुआ ये साल, ‘श्रीकांत’ और ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ से की दमदार वापसी

Rajkummar Rao Movies: बॉलीवुड में कोरोना के बाद से ज्यादा सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने लगीं. जो एक्टर्स कोरोना के पहले हिट पर हिट दे रहे थे अब वो एक हिट के लिए भी तरस गए. 2023 में शाहरुख खान, रणबीर कपूर जैसे सितारों की हिट फिल्म ने बॉक्स ऑफिस की रौनक लौटाई. अब 2024 में राजकुमार राव को भी एक हिट नसीब हो गई जो कि कई सालों के बाद मिली. 

2024 में राजकुमार राव की दो फिल्में ‘श्रीकांत’ और ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ आईं जिनमें से एक ‘श्रीकांत’ हिट हो चुकी है जिससे राजकुमार राव के हिट फिल्म का खाता खुल गया. अब दूसरी ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ आई जो फिलहाल थिएटर्स में लगी है और बजट की आधी कमाई कर चुकी है.

राजकुमार राव के नाम रहा 2024

2024 में राजकुमार राव ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वो इंडस्ट्री के बेहतरीन एक्टर हैं. ‘श्रीकांत’ और ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ के जरिए राजकुमार ने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है. चलिए बताते हैं इन दोनों फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कैसा रहा?


‘श्रीकांत’ बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म श्रीकांत का बजट 40 करोड़ के आस-पास रहा है. Sacnilk के मुताबिक, फिल्म श्रीकांत ने बॉक्स ऑफस पर 53.85 करोड का कलेक्शन कर लिया है. वहीं फिल्म अभी कुछ सिनमाघरों में लगी हुई है.

‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

फिल्म मिस्टर एंड मिसेज माही 31 मई को रिलीज हुई थी और लगभग 8 दिनों के बाद इस फिल्म ने फिलहाल अपनी लागत की आधी कमाई कर ली है. फिल्म थिएटर्स में लगी है और अभी इसके पास कमाई करने का मौका है क्योंकि 14 जून तक थिएटर्स में कोई बड़ी फिल्म नहीं आ रही है.

बता दें, इसी साल अगस्त में फिल्म स्त्री 2 भी आ रही है. इस साल आने वाली राजकुमार राव की ये तीसरी फिल्म होगी. साल 2018 में फिल्म स्त्री आई थी जो सुपरहिट रही और अब ‘स्त्री 2’ से भी काफी उम्मीदे हैं. अगर ये फिल्म भी हिट हुई तो राजकुमार राव के लिए 2024 लाजवाब होने वाला है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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