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Paytm चलाने वाले ज्यादातर लोग करते हैं ये गलती, फिर धीरे-धीरे लीक होता है डेटा

Paytm: पेटीएम का इस्तेमाल भारत में लाखों लोग करते हैं. सुबह उठने से लेकर शाम के डिनर तक न जाने कितनी बार लोग पीटीएम का इस्तेमाल करते हैं. चाय-कॉफी हो, गाड़ी में पेट्रोल-डीजल डलवाना हो, ऑनलाइन कुछ सामान मंगवाया हो या किराने की दुकान से कुछ खरीदा हो, सभी के लिए लोग आज पेटीएम का इस्तेमाल करते हैं.

कैश का चलन अब कुछ हद तक कम हो गया है. हाल ही में पेटीएम ने यूपीआई लाइट नाम की सेवा शुरू की है जिसके तहत यूजर्स 200 रुपये तक की पेमेंट बिना पिन डाले कर सकते हैं. खैर इस बारे में हम बात नहीं करेंगे. आज इस लेख के माध्यम से हम आपको पेटीएम से जुड़ी एक कॉमन गलती के बारे में बताने वाले हैं जिसे अक्सर ज्यादातर लोग करते हैं. शायद कई लोग ऐसे होंगे जो इस लेख को पढ़ने के बाद इस गलती को ठीक करें. 

अधिकतर लोग करते हैं ये गलती

दरअसल, जब भी आप पेटीएम से अपना बैंक अकाउंट लिंक करते हैं तो एक यूपीआई आईडी जनरेट होती है. इस यूपीआई आईडी के जरिए आप अपने अकाउंट में पैसे मंगवा सकते हैं. यानी बार-बार आपको दूसरों को बैंक अकाउंट और निजी जानकारी नहीं देनी पड़ती. अधिकतर लोग जब अपना बैंक अकाउंट पेटीएम के साथ सेटअप करते हैं तो यूपीआई आईडी खुद से नहीं चुनते और पेटीएम की ओर से दी जाने वाली डिफॉल्ट आईडी को ही रखते हैं. पेटीएम आपको यूपीआई आईडी इस तरीके से देता है कि उस आईडी के आगे आपका मोबाइल नंबर लिखा होता है या ज्यादातर लोग इस ऑप्शन को चुन लेते हैं.

उदाहरण के लिए– अगर आपका मोबाइल नंबर 1234567891 है तो आपकी यूपीआई आईडी पेटीएम डिफॉल्ट रुप से 1234567891@paytm बना देता है और लोग इसका ही इस्तेमाल करने लगते हैं.

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फिर इसमें नुकसान क्या है?

दरअसल, जब ऐसी यूपीआई आईडी बन जाती है जिसके आगे आपका मोबाइल नंबर लिखा होता है तो ऐसी स्थिति में जब आप किसी व्यक्ति को पेमेंट करते हैं तो आपकी यूपीआई आईडी उस व्यक्ति को पता लगती है और यहां से वो आपका मोबाइल नंबर पता कर सकता है. मोबाइल नंबर पता लगने के बाद फिर फ्रॉड करने वाले लोग आपके साथ स्कैम करते हैं और कई तरह से आपके डेटा को चोरी करते हैं. इसलिए हमेशा अपनी यूपीआई आईडी खुद से बनाएं और ऐसी यूपीआई आईडी चुने जो यूनिक और सुरक्षित हो. यानी आपको मोबाइल नंबर आदि किसी भी निजी जानकारी का इस्तेमाल इसमें नहीं करना है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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