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MWC क्या है..जिसके सामान्य टिकट में आईफोन 14 और VIP में तो कार आ जाए

MWC : मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस, जिसे आमतौर पर एमडब्ल्यूसी (MWC) के नाम से जाना जाता है, एक एनुअल शो है जो मोबाइल इंडस्ट्री में कुछ सबसे बड़े खिलाड़ियों को अपने लेटेस्ट प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी को प्रदर्शित करने के लिए एक साथ लाता है. यह शो बार्सिलोना, स्पेन में होता है और इंडस्ट्री के पेशेवरों की ग्लोबल ऑडियंस को आकर्षित करता है. आइए इस शो का इतिहास और 2023 में होने वाले शो के कुछ मुख्य पॉइंट्स जानते हैं. 

MWC का इतिहास

MWC को पहली बार 1987 में GSM वर्ल्ड कांग्रेस के रूप में लॉन्च किया गया था, जो उभरती हुई डिजिटल सेलुलर तकनीक GSM के लिए एक ट्रेड शो था. इसके बाद शो मोबाइल इंडस्ट्री का अन्य एरिया जैसे कि 3G, 4G और 5G को कवर करने के लिए विस्तार हुआ. आज, MWC को मोबाइल इंडस्ट्री में प्रमुख इवेंट में से एक माना जाता है. अब इस शो में 200 से अधिक देशों के प्रतिभागी शामिल होते हैं. MWC की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2023 में लगभग 80,000 से ज्यादा लोग शामिल होंगे.

मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस की टाइमिंग

MWC आमतौर पर चार दिनों तक चलता है और इसमें सैकड़ों प्रदर्शक अपने लेटेस्ट मोबाइल डिवाइस, सॉफ्टवेयर और सर्विस को शोकेस करते हैं. इस बार भी यह शो  मोबाइल शो 27 फरवरी से शुरू होगा और 2 मार्च तक चलेगा. अगर आप भी मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2023 में जाना चाहते हैं तो आप MWC की ऑफिशियल वेबसाइट के जरिए अपना टिकट बुक कर सकते हैं.

मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस के टिकट की कीमत

अगर आपके मन में टिकट की कीमत को लेकर सवाल है तो बता दें कि सामान्य टिकट की कीमत 799 यूरो (70,431.95 भारतीय रुपया) , लीडर पास की कीमत 2,196 यूरो (1,93,614.73 भारतीय रुपया) और वीआईपी पास की कीमत 4499 यूरो (3,96,589.82 भारतीय रुपया) है. ये कीमत पुरे इवेंट यानी 4 दिनों के लिए है. 

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कुल मिलाकर MWC मोबाइल इंडस्ट्री में सबसे महत्वपूर्ण शो में से एक है, जो कंपनियों को अपने लेटेस्ट प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी को शो करने के साथ-साथ इंडस्ट्री के पेशेवरों को नेटवर्क बनाने के लिए एक मंच डेट है. 

यह भी पढ़ें – MWC 2023 : वनप्लस, शाओमी से लेकर मोटोरोला तक, शो में कई स्मार्टफोन हो सकते हैं पेश

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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