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Mobile Games का चस्का फंसा बैठा है करोड़ों रुपये, दुनिया का हर पांचवां मोबाइल गेमर भारत में, जा

भारत में मोबाइल गेम्स (Mobile Games) का मार्केट लगातार नई ऊंचाई को छू रहा है. नोकिया फोन पर स्नेक गेम के शुरुआती दिनों से लेकर अगली पीढ़ी के स्मार्टफोन तक हाई-डेफिनिशन ग्राफिक्स और इमर्सिव गेमप्ले की पेशकश करने वाले मोबाइल गेमिंग (Mobile Gaming) ने एक लंबा सफर तय किया है जो सबसे पॉपुलर कंसोल गेम को भी टक्कर देता है. मोबाइल गेमिंग उतना ही विकसित हुआ है जितना कि खुद मोबाइल डिवाइस.

कोविड-19 महामारी ने दी हवा

खबर के मुताबिक, कोविड-19 महामारी और उस दौरान लगाए गए बैन के चलते, मोबाइल गेमिंग सेगमेंट चमक गया क्योंकि इसने मनोरंजन चाहने वाली जनता की चाहत को पूरा किया. भारतीय मोबाइल गेमिंग बाजार (Mobile Gaming Market) में इस अवधि के दौरान बड़ा उछाल देखा गया, जो इस क्षेत्र में अब भी जारी है. कोविड-19 की लहर के दौरान, उपभोक्ता बड़े पैमाने पर ऑनलाइन चैनलों की ओर मुड़े.

दुनिया का हर पांचवां मोबाइल गेमर भारत में

विनजो गेम्स के सह-संस्थापक पावन नंदा ने बताया, कि अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ – बैंकिंग और पेमेंट – को अपनाने में महत्वपूर्ण तेजी देखी गई जिसने भारत को तीसरे सबसे बड़े गेमिंग (Mobile Gaming) बाजार से दुनिया का सबसे बड़ा गेमिंग बाजार बना दिया. दुनिया हर पांचवां मोबाइल गेमर अपने देश में रहता है. मार्केटिंग फर्म मोइंगेज की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन की बढ़ती पैठ, कम लागत वाले स्मार्टफोन और अधिक किफायती डेटा योजनाओं के चलते देश में मोबाइल गेमिंग (Mobile Gaming) का बाजार 2027 के आखिर तक 8.6 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

कितना है मौजूदा मार्केट का अनुमान

रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारतीय गेमिंग उद्योग (Mobile Gaming Market) का वर्तमान मूल्यांकन 2.6 अरब डॉलर है. नंदा ने कहा, भारत मोबाइल गेमिंग के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है और 2025 तक सात अरब डॉलर का बाजार बनने का अनुमान है. उम्मीद है कि इस क्षेत्र में पांच डेकाकॉर्न (10 अरब डॉलर की स्टार्टअप कंपनी) और 10 यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर की स्टार्टअप कंपनी) उभरेंगे, जो इन्हें दूसरों की तुलना में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए अत्यधिक आकर्षक बनाते हैं.

भारत में क्यों देखी गई है बढ़ोतरी

मोबाइल-फर्स्ट राष्ट्र के रूप में, भारत ने हाल के वर्षों में शक्तिशाली प्रीमियम स्मार्टफोन, बेहतर डेटा कनेक्टिविटी, इनफ्लुएंसरों की एक नई पीढ़ी के उदय के साथ-साथ उनसे प्रभावित यूजर-जनित कंटेंट के कन्वर्जेन्स के चलते मोबाइल गेमिंग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है. इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप में साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के प्रमुख प्रभु राम ने कहा कि यह रुझान जारी रहेगा, आने वाले समय में मोबाइल और पीसी गेमिंग दोनों को मजबूती मिलेगी.

महिलाएं प्रति सप्ताह औसतन 11.2 घंटे बिताती हैं

राम ने बताया, खासतौर से, गंभीर महिला गेमर्स और मोबाइल गेमर्स द्वारा गेमिंग में बिताए जाने वाले समय में बढ़ोतरी हुई है. अमेजन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) के सहयोग से प्रकाशित लुमिकाईज स्टेट ऑफ इंडिया गेमिंग रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, महिलाएं प्रति सप्ताह औसतन 11.2 घंटे वीडियो गेम खेलने में बिताती हैं, जबकि पुरुष प्रति सप्ताह 10.2 घंटे खर्च करते हैं. सर्वे में पाया गया कि 60 फीसदी गेमर्स पुरुष थे, जबकि 40 फीसदी महिलाएं थीं.

स्पोर्ट्स गेम्स सबसे ज्यादा पसंदीदा

सीएमआर के मुताबिक, छह में से लगभग पांच स्मार्टफोन यूजर्स तनाव मिटाने (44 प्रतिशत) और टाइमपास (41 प्रतिशत) के लिए अपने स्मार्टफोन पर गेम खेलते हैं, और अक्सर खुद को किसी दूसरे चरित्र (26 प्रतिशत) में डुबो देते हैं. गेमर्स में स्पोर्ट्स गेम्स सबसे ज्यादा (53 फीसदी) पसंद किए जाते हैं. इसके बाद एक्शन/एडवेंचर गेम्स (51 फीसदी) का नंबर आता है. अपने स्मार्टफोन पर गेम खेलते समय, आठ में से सात गेमर्स के लिए बैटरी लाइफ महत्वपूर्ण होती है. डेटा इकट्ठा करने और विजुअलाइजेशन में विशेषज्ञता वाले एक जर्मन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्टेटिस्टा की जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि 2022 में भारत में मोबाइल गेमर्स (Mobile Games) की संख्या 17.4 करोड़ से ज्यादा थी, और डाउनलोड किए गए मोबाइल गेम (Mobile Games) की संख्या 9.3 अरब से ज्यादा थी. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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