टैकनोलजी

Meta ने लॉन्च किया Imagine AI टूल, टेक्स्ट लिखकर बना पाएंगे फोटो, तरीका जानिए  

Imagine AI Tool: मेटा ने अपने टेक्स्ट टू इमेज जनरेशन AI टूल, Imagine को स्टैंडअलोन वर्जन में लॉन्च कर दिया है. अब आप इस टूल को मैसेजिंग ऐप के अलावा भी वेबसाइट के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं. इस टूल को पिछले महीने कंपनी के कनेक्ट इवेंट में दिखाया गया था जो अब सभी के लिए लाइव है. आप इस टूल को imagine.meta.com वेबसाइट पर जाकर यूज कर सकते हैं. लॉगिन करने के बाद आपको टेक्स्ट प्रॉम्ट देनी होगी और ये टूल आपको 4 फोटो प्रांप्ट से मिलती हुई दिखाएगा.

AI से बनी फोटो पर होगा वॉटरमार्क 

AI टूल के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए मेटा ने अपने Imagine AI टूल में वॉटरमार्क फीचर को जोड़ा है. इससे होगा ये कि जब आप कोई फोटो AI टूल से बनाएंगे तो इसमें लेफ्ट साइड पर एक वॉटरमार्क आएगा. इसके अलावा, कंपनी एक इनविजिबल वाटरमार्किंग सिस्टम पर काम कर रही है जो फोटो के क्रॉप, एडिट, स्क्रीनशॉट होने पर भी इसमें नजर आएगा. बता दें, टेक्स्ट के जरिए फोटो बनाने के लिए आपका मेटा अकाउंट होना जरुरी है. अगर आपका अकाउंट नहीं है तो आप गूगल, फेसबुक या इंस्टाग्राम से लॉगिन कर सकते हैं.

कई नए AI फीचर पर काम कर रही कंपनी 

मेटा अपने ऐप्स में दर्जनों नए जेनरेटिव एआई फीचर्स की टेस्टिंग कर रही है. कंपनी इंस्टाग्राम में “एक्सपैंडर” नाम के एक फीचर पर काम कर रही है जो  स्टोरीज़ में एक लैंडस्केप फोटो को पोर्ट्रेट में बदलने की क्षमता यूजर्स को देगा. इसके अलावा कंपनी मेटा एआई चैट पर रील्स का भी सपोर्ट दे रही है. इससे ये फायदा होगा कि आप चैटबॉट से किसी सवाल के जवाब में रील्स भी मांग सकते हैं. जैसे अगर आप अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमने का प्लान कर रहे हैं तो आप इस टूल से घूमने की जगह और इससे जुड़ी रील्स दिखाने के लिए कह सकते हैं. 

यह भी पढ़ें:

क्वालकॉम अपने नए चिपसेट में Navic L1 सिग्नल्स का देगी सपोर्ट, आपको होगा ये फायदा

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button