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‘किसी का भाई किसी की जान’ फेम पूजा हेगड़े कितनी एजुकेटेड हैं? जानें एक्ट्रेस की पढ़ाई के बारे म

Pooja Hegde Education: सलमान खान की आने वाली फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान (Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan)’ में लीड रोल निभाने वाली पूजा हेगड़े का फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में बहुत ही अलग क्रेज है. पूजा हेगड़े के चाहने वाले उनकी एक झलक के लिए बेताब रहते हैं. इन दिनों पूजा हेगड़े (Pooja Hegde) ‘किसी का भाई किसी की जान’ को लेकर सुर्खियों में छाई हुई हैं.

पूजा के तमाम फैंस को इस मूवी का बेस्ब्री से इंतजार है. इस फिल्म (Movie) में सलमान खान (Salman Khan) के साथ रोमांस का तड़का लगाने को तैयार पूजा हेगड़े का नाम काफी पढ़ी लिखी अदाकाराओं (Actresses) में लिया जाता है. आइए जानते हैं इस बेहतरीन एक्ट्रेस (Actress) की पढ़ाई (Education) के बारे में.

पूजा हेगड़े की स्कूलिंग

पूजा हेगड़े का जन्म तुलु स्पीकिंग (Tulu Speaking) फैमिली में 13 अक्तूबर 1990 को हुआ. पूजा हेगड़े की फैमिली ने उन्हें स्कूलिंग के लिए मुम्बई के मानेकजी कूपर एजुकेशन ट्रस्ट स्कूल (Maneckji Cooper Education Trust School) भेजा गया. एक्ट्रेस अपने स्कूल के दिनों में बहुत ही शानदार स्टूडेंट हुआ रह चुकी हैं.

यहां से पूरा किया ग्रेजुएशन

अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद पूजा हेगड़े ने मुंबई के ही एमएम कॉलेज ऑफ कामर्स ऑफ इकोनॉमिक्स से कामर्स में बहुत ही बेहतरीन नंबरों के साथ अपना ग्रेजुएशन कंपलीट किया.

इस कॉलेज से किया पोस्ट ग्रेजुएश

मुम्बई के एमएम कॉलेज ऑफ कामर्स ऑफ इकोनॉमिक्स (MMK College of Commerce and Economics) से कामर्स से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद पूजा हेगड़े ने इसी कॉलेज से कामर्स में ही अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया.

आपको बता दें कि अपने कॉलेज के दिनों से ही पूजा हेगड़े (Pooja Hegde) डांस और फैशन शोज में भाग लिया करती थी. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक्ट्रेस (Actress) ने फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में करियर बनाने के लिए रुख किया.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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