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कपिल शर्मा ने अपनी पहली सैलरी का किया खुलासा, फोन बूथ पर काम करने पर मिलते थे इतने रुपये

Kapil Sharma First Salary: कॉमेडियन और एक्टर कपिल शर्मा अपनी नई फिल्म ज्विगाटो को लेकर सुर्खियों में छाए हुए हैं. ये मूवी थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है. इस बीच कपिल ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने पुराने दिनों को याद किया जब वह बहुत कम उम्र में पैसों के लिए काम करने लगे थे. इसके साथ ही उन्होंने अपनी पहली सैलरी का खुलासा किया है.

महज इतने रुपये थी कपिल की पहली सैलरी

कर्ली टेल्स के साथ इंटरव्यू के दौरान कपिल शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने फोन बूथ पर काम करना शुरू किया था तब उनकी उम्र बहुत कम थी और उन्हें हर महीने 500 रुपये सैलरी मिलती थी. उन्होंने ये भी बताया कि उस समय वह सिर्फ कुछ घंटे के लिए काम करते थे. कपिल शर्मा ने बताया कि वह उस समय कुछ घंटे काम करते थे. रात 10 बजे से 1 बजे तक और फिर सुबह 4 बजे से 7 बजे तक. 

कपड़ा मिल में काम कर चुके हैं कपिल शर्मा
 
इसके बाद कपिल ने अपनी दूसरी नौकरी के बारे में बात की. उन्होंने  बताया कि वह एक मिल में काम किया करते थे तब उनकी उम्र 14 साल थी. उन्हें काम के बदले हर महीने 900 रुपये मिलते थे. उन्होंने कहा, ‘मैंने बहुत से छोटे-छोटे काम किए हैं. दसवीं की परीक्षा देने के बाद मैं एक कपड़ा मिल में काम करने लगा था. वहां पर इतनी गर्मी पड़ती थी कि प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव भाग जाते थे. 

कमाए हुए पैसों से क्या करते थे कपिल शर्मा? 

बातचीत के दौरान कपिल से पूछा गया कि क्या उन्हें अपनी फैमिली के लिए पैसे कमाने पड़ते थे? इस सवाल के जवाब में कॉमेडियन ने कहा, ”हम सिर्फ 14 साल के बच्चे थे और हमने सोचा कि हमें हर महीने 900 रुपये मिलेंगे. ये साल 1994 की बात है. घर से कोई दबाव नहीं था कि आपको काम करना है, लेकिन हम पैसे से अपने लिए चीजे खरीदते थे. जैसे म्यूजिक सिस्टम, मां के लिए गिफ्ट लेना ये सब अच्छा लगता था”. 

लोगों को पसंद आ रही कपिल शर्मा की ‘ज्विगाटो’ 

वर्क फ्रंट की बात करें कपिल शर्मा की फिल्म ज्विगाटो सिनेमाघरों में 17 मार्च को दस्तक दे चुकी है, जिसमें उन्होंने एक डिलीवरी ब्वॉय का किरदार निभाया है. मशहूर डायरेक्टर नंदिता दास के निर्देशन में बनी ये फिल्म लोगों को बहुत पसंद आ रही है. अब देखना है कि बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म क्या कमाल दिखा पाती है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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