बॉलीवुड और मनोरंजन

जो 2019 में हुआ, वही 2024 में होगा’,लोकसभा चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर कंगना रनौत ने क्या कहा

Kangana Ranaut On Lok Sabha Election 2024: कंगना रनौत बॉलीवुड की उन एक्ट्रेसेस में शामिल हैं जो अपनी बेबाक राय रखने के लिए जानी जाती हैं और अपने ट्वीट और इंस्टाग्राम पोस्ट से तहलका मचाए रहती हैं. फिलहाल कंगना इन दिनों अपनी अपकमिंग  पीरियड ड्रामा फिल्म ‘इमरजेंसी’ की रिलीज की तैयारियों में बिजी हैं. इन सबके बीच एक्ट्रेस रविवार को हरिद्वार में पहुंची थीं. इस दौरान उन्होंने काली मंदिर में दर्शन किए और  गंगा आरती भी की. अपने इस विजिट के दौरान उन्होंने अपकमिंग 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी रिएक्शन दिया.

2024 लोकसभा चुनाव को लेकर कंगना ने क्या कहा?
कंगना ने कहा, ‘चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है लेकिन 2024 में वही होगा जो 2019 में हुआ था.’ 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 353 सीटें जीतीं थीं और सत्ता में वापसी की थी.

 

कंगना ने राजनीति में शामिल होने के दिए थे संकेत
कंगना रनौत भी पहले  कई मौकों पर फ्यूचर में चुनाव लड़ने के संकेत दे चुकी हैं.तमिल एक्ट्रेस से राजनेता बनीं जयललिता पर बेस्ड फिल्म ‘थाइलवी’ के प्रमोशन के दौरान कंगना ने कहा था कि अगर उनके फैंस चाहते हैं तो वह निश्चित रूप से राजनीति में शामिल होना पसंद करेंगी.

 

कंगना रनौत वर्क फ्रंट
कंगना के वर्क फ्रंट की बात करें तो ‘इमरजेंसी’ एक्ट्रेस की पहली सोलो डायरेक्शनल फिल्म है. ये फिल्म पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की लाइफ के इर्द-गिर्द घूमती है और इसमें कंगना ने दिवंगत राजनेता का रोल प्ले किया है. फिल्म में कंगना के अलावा अनुपम खेर, महिमा चौधरी, विशाक नायर और श्रेयस तलपड़े प्रमुख भूमिकाओं में हैं. कंगना जल्द ‘तेजस’ में भी नजर आएंगी. इस फिल्म में वह एक इंडियन एयरफोर्स पायलट की भूमिका निभाती नजर आएंगी.  फिल्म की ऑफिशियल रिलीज की तारीख का अभी भी इंतजार है.

इनके अलावा कंगना ‘चंद्रमुखी 2’ में नजर आएंगी. पी वासु द्वारा डायरेक्ट  ‘चंद्रमुखी 2’ ब्लॉकबस्टर हिट तमिल हॉरर कॉमेडी फिल्म ‘चंद्रमुखी’ की नेक्सट इंस्टॉलमेंट है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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