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‘मैं अपने बच्चों के बारे में नहीं सुनना…’ करण जौहर ने ट्विटर छोड़ने पर तोड़ी चुप्पी

Karan Johar: करण जौहर ने आखिरकार उस असली कारण के बारे में खुलासा किया है कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को क्यों छोड़ा था. एक नए इंटरव्यू में फिल्म निर्माता ने खुलासा किया कि उन्होंने ऐसा करने का फैसला तब किया जब उन्होंने अपने बच्चों यश और रूही के बारे में कई अपमानजनक चीजें पढ़ी. 

करण जौहर ने ट्विटर छोड़ने पर तोड़ी चुप्पी

करण जौहर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि ट्विटर छोड़ने का फैसला उन्होंने इसीलिए लिया था क्योंकि जब मैंने अपने बच्चों के बारे में गालियां सुनना शुरू किया. जब ऐसा हुआ तो मुझे बहुत बुरा लगा. मुझे गाली दो, जो कहना है कहो. उन्होंने मेरी मां के साथ भी दुर्व्यवहार किया. मेरी मां अभी भी बड़ी उम्र की हैं. जब मैंने यह फैसला लिया, उस समय मेरे बच्चे पांच साल के थे. 

 


आगे उन्होंने कहा मुझे ट्विटर के महत्व का एहसास है. लेकिन मैं इस मंच पर नहीं रहना चाहता. मैं अपने बच्चों के बारे में कुछ भी गलत नहीं पढ़ना चाहता. करण ने आगे कहा, ”इन सब चीजों को देखकर ना केवल एक माता-पिता के रूप में, बल्कि एक इंसान के रूप में भी मेरा दिल टूट गया है”.

करण ने यह साफ किया कि उन्होंने भाई-भतीजावाद के दावों के कारण ट्विटर नहीं छोड़ा है. “ऐसा नहीं है कि मैंने इंडस्ट्री से लोगों को कास्ट करना बंद कर दिया है मैंने किसी की नहीं सुनी.  यह मेरे बच्चों के बारे में था मैं उसे पढ़ नहीं सका. जो कोई भी माता-पिता है वह जानता होगा कि यह ऐसी चीज़ है जिसे आप नहीं अपनाएंगे. आप कुछ भी ले लेंगे, लेकिन अपने बच्चे के खिलाफ़ कुछ भी नहीं ले सकते.

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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