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Twitter पर लॉगिन के लिए भी देने होंगे इतने पैसे, ब्लू टिक फिर भी नहीं मिलेगा, समझिए पूरी बात

X turning into paid service soon: एलन मस्क ट्विटर पर स्पैम और बॉट से निपटने के लिए पेड वेरिफिकेशन सिस्टम को लाए. इसकी मदद से कंपनी ने कई लाख बॉट अकाउंट्स को प्लेटफार्म से हटाया. हालांकि अभी भी ऐसे अकाउंट एक्स पर एक्टिव हैं. इस बीच आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जल्द मस्क एक्स को पूर्ण रूप से पेड सर्विस में बदल सकते हैं ताकि बॉट्स को प्लेटफॉर्म से खत्म किया जा सके. यानि जल्द आपको ट्विटर यूज करने के लिए पैसे देने होंगे. ये अपडेट उन लोगों के लिए है जो फिलहाल फ्री में ट्विटर की सेवा ले रहे हैं. जिन यूजर्स ने ट्विटर ब्लू का सब्सक्रिप्शन लिया हुआ है उन्हें कोई भुगतान अलग से नहीं करना होगा.

भरने होंगे इतने रुपये 

फ़िलहाल ये जानकारी सामने नहीं है कि मस्क कितने रुपये ट्विटर लॉगिन के लिए लेंगे लेकिन ये तय है कि इसका चार्ज ट्विटर ब्लू यानि एक्स प्रीमियम से कम होगा. फिलहाल कंपनी ब्लू टिक के लिए मोबाइल पर 900 रुपये भारत में लेती है. ध्यान दें, मस्क पेमेंट सिस्टम को सभी के लिए इसलिए ला रहे हैं ताकि बॉट्स को कम किया जा सके, इसमें आपको कंपनी ब्लू टिक नहीं देगी. ब्लू टिक के लिए आपको एक्स प्रीमियम की सर्विस ही लेनी होगी.

बड़े ट्विटर के एक्टिव यूजर्स 

एलन मस्क ने एक इंटरव्यू में ये जानकारी दी कि अब हर महीने 550 मिलियन से ज्यादा यूजर्स ट्विटर पर एक्टिव हैं और हर दिन 100 से 200 मिलियन के बीच पोस्ट प्लेटफॉर्म पर अपलोड होती हैं. मस्क ने पिछले साल अक्टूबर में ट्विटर को 44 बिलियन डॉलर में खरीदा था. हलांकि तब कंपनी के पास कम यूजर्स थे लेकिन मस्क की ओर से लाए गए नए अपडेट के बाद कंपनी के यूजर्स बड़े हैं. खासकर एक्स रेवेन्यू शेयरिंग प्रोग्राम के बाद यूजर्स की संख्या काफी बड़ी है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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