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एक ही टेक में शाहरुख खान ने डिलीवर किया 8 पेज का मोनोलॉग! ‘जवान’ की इस एक्ट्रेस ने किया रिवील

Shah Rukh Khan Jawan Monologue: शाहरुख खान की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘जवान’ रिलीज हो चुकी है और बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई कर रही है. किंग खान का जादू फैंस के सिर चढ़कर बोल रहा है. फिल्म ने जहां 7 दिनों में ही भारत में 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है तो वहीं वर्ल्डवाइड भी 600 करोड़ के क्लब में शामिल हो चुकी है.

‘जवान’ में शााहरुख खान के साथ संजीता भट्टाचार्य ने भी अहम रोल अदा किया है. फिल्म की रिलीज के बाद अब एक्ट्रेस ने शाहरुख खान को लेकर एक बड़ी दिलचस्प बात रिवील की है. एक्ट्रेस ने बताया है कि किंग खान ने फिल्म ‘जवान’ के लिए 8 पेज का एक मोनोलॉग एक ही टेक में डिलीवर किया है. एक्ट्रेस शाहरुख के इस टैलेंट से काफी इंप्रेस नजर आई हैं.


एक टेक में पढ़ा 8 पेज का मोनोलॉग
बॉलीवुड हंगामा से बात करते हुए संजीता भट्टाचार्य ने बताया कि मेट्रो ट्रेन में बंधक वाले सीन के लिए शाहरुख खान का आठ पेज का मोनोलॉग था. उन्होंने कहा, ‘वह पहली बार था जब मैंने शाहरुख सर को 8 पेज का मोनोलॉग सुनाते हुए देखा. बिल्कुल पानी की तरह, शायद ही कोई रीटेक हो. एक टेक था और दूसरा सिर्फ बदलाव के लिए होगा.’ ‘जवान’ एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘लोगों ने सच में इस बात का एंजॉय किया कि हम शाहरुख सर के साथ एक ही मेट्रो कोच में थे.’ 

‘जवान’ में एक्ट्रेसेस की पूरी गैंग
बता दें कि ‘जवान’ 7 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. फिल्म को रिलीज हुए 8 दिन हुए हैं और फिल्म हर रोज नए रिकॉर्ड बना रही है. ‘जवान’ में शाहरुख खान के साथ पूरी एक गर्ल गैंग है जिसमें नयनतारा, प्रियामणि, संजीता भट्टाचार्य, सान्या मल्होत्रा और रिद्धि डोगरा भी शामिल हैं. इसके अलावा फिल्म में दीपिका पादुकोण का एक खास कैमियो भी है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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